राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर देशभर के शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि शिक्षक समाज के मार्गदर्शक और राष्ट्र के भविष्य के निर्माता होते हैं। अपने संदेश में उन्होंने महान शिक्षाविद् और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का स्मरण कराते हुए कहा कि यह दिवस सम्पूर्ण देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राष्ट्रपति के शब्दों में, “शिक्षक हमारे समाज के मार्गदर्शक और हमारे राष्ट्र के भविष्य के निर्माता होते हैं। अपने विवेक, ज्ञान और मूल्यों के माध्यम से वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी विद्यार्थियों में विचारों का पोषण करते हैं और उन्हें उत्कृष्टता एवं नवाचार के लिए प्रेरित करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक एक जिम्मेदार और ज्ञानशील नागरिक बनने में अहम भूमिका निभाते हैं तथा एक विकसित राष्ट्र के लक्ष्य की दिशा में उनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
राष्ट्रपति ने समाज में ऐसे अनुकूल वातावरण बनाने का आह्वान किया जहाँ शिक्षकों का सम्मान हो और विद्यार्थियों में रचनात्मकता, करुणा एवं नवाचार का प्रसार हो। उनका संदेश समाप्त करते हुए — “मैं कामना करती हूँ कि हमारे शिक्षक ऐसे प्रबुद्ध विद्यार्थी तैयार करने में सफल हों, जो भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ।”
प्रधानमंत्री से मिलीं 45 चयनित शिक्षक
उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन 45 शिक्षकों से मुलाकात की जिनके चयन को राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इन शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका चयन उनके परिश्रम और नियमित साधना का परिणाम है। उन्होंने शिक्षकों के योगदान को देशसेवा करार देते हुए कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा के कारण ही भारत ने सदैव शिक्षकों को जीवन का मार्गदर्शक माना है।
प्रधानमंत्री ने विशेषकर यह बात कही कि एक शिक्षक केवल वर्तमान को नहीं संवारता, बल्कि देश के भविष्य को भी आकार देता है — इसलिए शिक्षण कार्य को देशसेवा के समकक्ष महत्ता दी जानी चाहिए। उन्होंने शिक्षकों के समर्पण और मेहनत को सलाम करते हुए उन्हें नयी चुनौतियों का सामना करने और विद्यार्थियों में नवाचार व मूल्यनिष्ठा विकसित करने का मार्गदर्शन जारी रखने का आग्रह किया।
सम्मान, समर्थन और निवेश की आवश्यकता
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के संदेशों से स्पष्ट है कि देश के शैक्षिक लक्ष्यों को हासिल करने में शिक्षकों की भूमिका केंद्रीय है। नीति निर्माता, समाज और शिक्षा संस्थानों के तौर पर अब आवश्यक यह है कि शिक्षकों के सम्मान, प्रशिक्षण और कार्य-परिस्थितियों में सुधार के लिए निरंतर निवेश किया जाए, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान, कौशल और नैतिकता से सम्पन्न कर सकें — और देश को आगे बढ़ा सकें।