सीधी, मध्य प्रदेश – गर्भवती महिला लीला साहू और उनके साथ की 7 महिलाओं की एक मासूम सी मांग – “हमें पक्की सड़क चाहिए, ताकि हम अस्पताल तक जिंदा पहुंच सकें” – ने पूरे सिस्टम की संवेदनशीलता को जगाकर रख दिया है। हालांकि, यह संवेदनशीलता दिल से नहीं, जुबान से निकली – और वह भी सांसद महोदय की जुबान से, जिन्होंने महिला की पीड़ा पर “डिलीवरी से पहले उठवा लेंगे” जैसे मानवीय संवाद से प्रतिक्रिया दी।
सड़क की मांग? पहले प्रेग्नेंसी प्रूफ दो!
लीला साहू, जो खुद गर्भवती हैं और सोशल मीडिया पर लाखों की फॉलोइंग रखती हैं, शायद यह भूल गईं कि इस देश में सड़क की मांग करना उतना ही बड़ा अपराध है, जितना नेताओं से जवाबदेही की उम्मीद करना। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और प्रधानमंत्री मोदी को टैग कर सड़क की मांग की — और ऐसा करके उन्होंने प्रशासन की नींद खराब कर दी। बेचारे अफसर सोच में पड़ गए होंगे – “ये औरतें सड़क मांग रही हैं, वो भी पब्लिकली! अगली बार ट्विटर पर ऑपरेशन की मांग कर बैठें तो?”
“हेलीकॉप्टर है न, फिर सड़क क्यों?”
बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा ने भी वही कहा जो एक प्राचीन राजा कहता — “डिलीवरी की तारीख बताओ, हम हेलीकॉप्टर भेज देंगे!” यानी राजा हरिश्चंद्र की आत्मा तो नहीं, लेकिन लहजा जरूर दिखा। उन्होंने आगे कहा, “सड़क से क्या होगा? एंबुलेंस है, आशा बहनें हैं, भगवान है, और हमारा हेलीकॉप्टर है।” सड़क की जगह अब ‘उड़न खटोला योजना’ शायद शुरू होने ही वाली है।
दो गर्भवती महिलाओं ने सरकार को खुली चुनौती दी!@narendramodi
सीधी, MP की लीला साहू का वीडियो वायरल
सांसद @DrRajesh4BJP ने सड़क बनवाने का वादा किया था,@nitin_gadkari महीनों बाद भी गड्ढों का राज कायम है।@DrMohanYadav51 #YeThikKarkeDikhao#MPPolitics #viralvideo pic.twitter.com/h8GTyHM8YV
— PARDAPHAAS NEWS (@pardaphaas) July 6, 2025
लोक निर्माण मंत्री बोले – “सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से सड़क बनती है क्या?”
मंत्री राकेश सिंह ने तो पूरे डिजिटल इंडिया अभियान पर ही पानी फेर दिया। बोले, “अब कोई फेसबुक पर पोस्ट डाले, और हम तुरंत डम्पर लेकर पहुंच जाएं?” मंत्रीजी की बात सुनकर मोबाइल में बैठे गूगल मैप ने भी सिसकते हुए कहा होगा – “मैं तो रास्ता दिखाने के लिए हूं, सड़क बनवाने के लिए नहीं।”
सड़कें नहीं, भाषण बनेंगे
वन विभाग की आपत्ति, बजट की तंगी, एजेंसियों की बहस – ये सब मिलाकर साफ है कि सरकार सड़कों से नहीं, बहानों से देश जोड़ने में यकीन रखती है। लीला साहू का अपराध बस इतना था कि उन्होंने सड़क मांगी, वो भी ऐसी हालत में जब पेट में जान है और पीठ पर कीचड़ से सना गांव।
देश डिजिटल है, लेकिन सड़कें अब भी दलदली हैं।
सारांश में:
जब जनता सड़क मांगे, तो कहिए – “डिलीवरी की तारीख बताओ, उठवा लेंगे।”
जब जनता वीडियो बनाए, तो कहिए – “हम हर पोस्ट पर डम्पर नहीं भेज सकते।”
और जब चुनाव आएं, तो कहिए – “अबकी बार… हेलीकॉप्टर सरकार!”