लखनऊ/कौशांबी — समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित विधायक पूजा पाल ने स्पष्ट किया है कि उन्हें पार्टी से बाहर इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने विधानसभा में माफिया अतीक अहमद का नाम लिया था। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने वाली पूजा ने कहा कि अगर उन्होंने अतीक का नाम न लिया होता तो उन्हें सज़ा — यानी निष्कासन — नहीं मिलता।
“मैंने सिर्फ सत्य कहा” — पूजा पाल
एक इंटरव्यू में पूजा पाल ने कहा, “मैं यूपी की जनता की आवाज़ हूँ। मैंने सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया क्योंकि उनके शासन में जिलों के लोग न्याय और सुरक्षा महसूस कर रहे हैं। जब मैंने अपनी पीड़ा और उन लोगों की बात रखी जो अतीक से पीड़ित हैं, तो मैंने उसका नाम लिया — और इसी के चलते पार्टी ने मुझे निष्कासित कर दिया।” उन्होंने दोहराया कि उनका मकसद न्याय की बात करना था, न कि किसी राजनीतिक सियासत को बढ़ावा देना।<
#WATCH | Lucknow | Samajwadi Party expelled MLA Pooja Pal says, "I have thanked the CM many times… He has the power to run the administration and the government. But I got expelled for naming Atiq Ahmed in the Assembly. If I had not named him, I wouldn't have been expelled…… pic.twitter.com/d5iKxGqthb
— ANI (@ANI) August 17, 2025
पूर्व-सरकारों की नाकामी और आज का फरक
पूजा ने कहा कि वे पुराने दौर और मौजूदा शासन के बीच बड़ा फर्क देखती हैं। उन्होंने अपने पति राजू पाल की हत्या का ज़िक्र करते हुए कहा कि तब न्याय नहीं मिला और परिवार को बहुत दर्द सहना पड़ा। उन्होंने कहा, “पहले जब विधायकों की हत्या होती थी तो कार्रवाई नहीं होती थी; आज छोटा अपराध भी गंभीरता से लिया जा रहा है और माफिया के मामलों में सख्ती दिख रही है — यह फर्क महसूस होता है।” पूजा का यह भी कहना था कि आक्रामक कार्रवाई न होने पर अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।
#WATCH | Lucknow | On meeting with UP CM Yogi Adityanath, Samajwadi Party expelled MLA Pooja Pal says, “I just met CM Yogi Adityanath as an MLA… I am not sure of what I will do next, but I want to work for my people…” pic.twitter.com/HLr7Gllmkv
— ANI (@ANI) August 17, 2025
योगी से औपचारिक मुलाकात — विकास कार्यों की बात
पूजा पाल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात पारंपरिक और औपचारिक थी — वे अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास व स्थानीय जनसुविधाओं के मुद्दों पर चर्चा करने गई थीं। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य क्षेत्र के लोगों के हित में काम करना है और वे इसी पर आगे भी ध्यान देंगी।
राजनीतिक रास्ता अब किस ओर?
निष्कासन के बाद पूजा के राजनीतिक विकल्प और भविष्य का मार्ग अभी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका ध्यान अब भी अपने क्षेत्र और पीड़ितों की आवाज़ उठाने पर है। वहीं पार्टी पाले पर यह घटनाक्रम अनुशासन एवं आंतरिक कूटनीति के संदर्भ में चर्चा का विषय बना हुआ है— खासकर तब जबकि सपा के भीतर अनुशासन व एकरूपता को लेकर संवेदनशीलता बनी रहती है।
पूजा पाल का साफ़ बयान और उनकी योगी से हालिया मुलाकात उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया वियान ला रही है — यह मामला न केवल व्यक्तिगत विवाद है बल्कि यह उस बड़े प्रश्न को भी रेखांकित करता है कि राजनीतिक दल अपने सदस्यों के सार्वजनिक बयानों पर किस हद तक नियंत्रण रखें और विधायकों की व्यक्तिगत संवेदनाओं को किस तरह टाला या समझा जाए।