नई दिल्ली,: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 126वें एपिसोड में कहा कि भारतीय संस्कृति व त्योहारों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि सरकार ने छठ महापर्व को UNESCO की Intangible Cultural Heritage (अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर) सूची में शामिल कराने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीएम मोदी ने यह भी याद दिलाया कि कोलकाता की दुर्गा पूजा को पहले UNESCO की सूची में स्थान मिल चुका है और उसी तरह छठ को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से भारत की प्राचीन लोक परंपराएँ दुनिया के सामने आएँगी।
छठ: आस्था से परे — प्रकृति, सूर्य और जल संरक्षण का संदेश
पीएम ने कहा कि छठ महापर्व सिर्फ आस्था का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह सूर्य उपासना, जल और पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा:
“जब हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को वैश्विक मान्यता देंगे, तो दुनिया इनके बारे में जानेगी। छठ महापर्व की भव्यता और दिव्यता को विश्व स्तर पर महसूस किया जा सकेगा।”
लोक-स्वीकृति का स्वागत — छठी मैया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया
छठी मैया फाउंडेशन के चेयरमैन व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संदीप कुमार दुबे ने सरकार की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बिहार व पूर्वांचल की आस्था का गौरव है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन इस पहल का व्यापक प्रचार-प्रसार करेगा और वैश्विक भारतीय समुदाय के साथ मिलकर छठ की महिमा दुनिया तक पहुंचाएगा।
विशेषज्ञों की राय — सांस्कृतिक धरोहर के लिए ऐतिहासिक कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि छठ महापर्व UNESCO की अमूर्त धरोहर सूची में शामिल हो जाता है, तो यह भारत की समृद्ध लोक-परंपरा के संरक्षण और वैश्विक मान्यता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
क्या बदलेगा — वैश्विक पहचान के मायने
UNESCO सूची में स्थान मिलने से:
छठ की पारंपरिक विधियों व रीति-रिवाजों का संरक्षण मजबूत होगा।
विश्वभर में भारतीय प्रवासी समुदाय में उत्सव की प्रस्तुति और विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरण-संदेश और जल-संरक्षण जैसी शिक्षाएँ अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचेंगी।