नई दिल्ली — संसद के मानसून सत्र के 18वें दिन सोमवार की शुरुआत होते ही विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। बिहार के SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) को लेकर नारेबाजी के बीच लोकसभा में दोपहर 2 बजे से होने वाली चर्चा — भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन और 2047 तक विकसित भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका — कुछ ही देर बाद बाधित हो गई। कड़ी मतभेद और लगातार हंगामे के कारण सदन को मंगलवार, 19 अगस्त, सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विरोधी व्यवहार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी
सदन में व्यवधान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट नाराज़गी जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि जिस प्रकार से अंतरिक्ष मिशन और देश की वैज्ञानिक-राष्ट्र सुरक्षा से जुड़ी इस महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान विपक्ष ने लगातार हंगामा किया, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक था। उन्होंने कहा:
“यह चर्चा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और विकसित भारत-2047 में इसकी भूमिका पर थी — राष्ट्रीय उपलब्धि, देश का सम्मान और भविष्य की वैज्ञानिक-रक्षा क्षमता से जुड़ा विषय। ऐसे विषयों को दलगत राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।”
राजनाथ ने यह भी कहा कि विपक्ष यदि चाहता तो चर्चा में शामिल होकर रचनात्मक आलोचना और सुझाव दे सकता था, मगर बाधा डालकर वह राष्ट्रीय हित के अहम विमर्श को रोके गए।
आज लोकसभा में भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और ISRO मिशन के पायलट शुभांशु शुक्ला की अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) यात्रा और उसके बाद की वापसी पर विशेष चर्चा के दौरान जिस तरह से विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और सदन को चलने नहीं दिया, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
यह चर्चा…
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 18, 2025
शुभांशु शुक्ला का स्वागत और चर्चा का मकसद
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला रविवार (17 अगस्त) को भारत लौटे थे। उनके स्वागत में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन भी मौजूद रहे। लोकसभा में प्रस्तावित विशेष चर्चा का विषय था — “अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री — 2047 तक विकसित भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका” — जिसका उद्देश्य शुक्ला के मिशन की उपलब्धियों पर प्रकाश डालना और भविष्य की नीतियों पर सार्थक बहस करना था।
विरोध का कारण और आगे की चुनौतियाँ
विपक्ष के अनुसार वे SIR प्रक्रिया के चलते नागरिकों के मतदाता-अधिकार और मतदाता-सूची में बदलाव जैसे संवेदनशील प्रश्न उठाना चाहते थे। हंगामे की पृष्ठभूमि में यह भी बताया जा रहा है कि विपक्ष संसद में इस मुद्दे पर तत्काल स्पष्टीकरण और जवाब की मांग कर रहा था, जिसकी वजह से चर्चा बाधित हुई। अब यह देखना होगा कि अगली बैठक में दोनों पक्ष किस प्रकार से संवाद और चर्चा की राह निकालेगे ताकि राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सार्थक बहस बनी रहे।
विज्ञान और राजनीति के बीच संतुलन की आवश्यकता
शुभांशु शुक्ला का मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है बल्कि देश के लिए गौरव का क्षण भी है। रक्षा मंत्री के तर्क के अनुरूप, ऐसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर संसद में राजनीति से ऊपर उठकर व्यापक, तटस्थ और रचनात्मक बहस की अपेक्षा की जाती है। मंगलवार की सुनवाई में यह स्पष्ट होना महत्वपूर्ण होगा कि संसद किस तरह से वैज्ञानिक उपलब्धियों पर राष्ट्रव्यापी सहमति और नीतिगत दिशा तय करेगी — और साथ ही संवेदनशील लोकतान्त्रिक प्रश्नों पर भी पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित होगी।