उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश (ओपी) राजभर ने सुल्तानपुर में शुक्रवार को दिए बयान में आगामी 2027 विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा दावा किया और SIR (मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण/स्पेशल इंडेक्स रजिस्टर) को लेकर विपक्ष पर तीखा हमला बोला। राजभर ने कहा कि भाजपा-अधारित गठबंधन 2027 में फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटेगा और ‘SIR’ के विरोध के जरिए विपक्ष सरकार और चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।
राजभर के तर्क और पुराने परिणामों का हवाला
राजभर ने अपने बयान में 2017 के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि उस वर्ष NDA को 325 सीटें मिली थीं, उस समय SIR लागू नहीं हुआ था, जबकि अब मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के कारण लोग ‘SIR से डर रहे’ हैं — और इस बार यह डर विपक्ष को राजनीतिक फायदा नहीं देगा, बल्कि सरकार को मजबूती देगा, उनका दावा था। उन्होंने 2022 में कुछ दलों के एनडीए से अलग होने को भी बीजेपी की पूर्वांचल में 65 सीटें हारने का बड़ा कारण बताया और कहा कि 2027 में ऐसी कमी नहीं रहने दी जाएगी।
SIR क्या है और राजभर की सलाहकार हिदायतें
SIR — जिसे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत कराया जाता है — दरअसल मतदाता फाइलों का एक विशेष रिवाइज़न है ताकि सूची ताज़ा रहे और नए मतदाताओं का समावेश सुनिश्चित हो सके। इसी संदर्भ में राजभर ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि वह गांव-गाँव जाकर लोगों के SIR के फॉर्म भरवाएं और इन्हें बूथ-लेवल ऑफिसर (BLO) के पास जमा करवाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी के पास अभी तक SIR का फॉर्म नहीं पहुँचा है तो वे तत्काल अपने BLO से संपर्क करें और फॉर्म जमा कराएँ — ताकि मतदाता सूची में किसी का नाम न छूटे।
विपक्ष पर आरोप: चुनाव आयोग को बदनाम करने की साज़िश?
ओपी राजभर ने विपक्ष पर एहतियाती सबूतों की कमी और लगातार आरोप लगाकर सरकार व चुनाव आयोग को बदनाम करने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक, विपक्ष हर बार तब चुनाव आयोग की प्रशंसा करता है जब उसे जीत मिलती है, और उसी आयोग की निंदा करता है जब वह हारता है — इसलिए मौजूदा मामलों में आलोचना “बेबुनियाद” और मूर्खतापूर्ण है। राजभर ने कहा कि SIR एक ‘खुली किताब’ की तरह पारदर्शी तरीके से हो रहा है और विपक्ष की शिकायतें राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं।
IAS संतोष वर्मा के बयान पर प्रतिक्रिया
मिडिया में उठे एक ऐम्स/IAS अधिकारी संतोष वर्मा के कथित बयान पर राजभर ने निंदा व्यक्त की और कहा कि पढ़े-लिखे अफसरों को इस तरह के व्यक्तिगत या विवादित बयानों से बचना चाहिए; उन्होंने संकेत दिया कि कुछ लोग केवल चर्चा में बने रहने के लिए विवादित बयान दे देते हैं। राजभर ने कहा कि ऐसे बयानों से प्रशासनिक संस्थानों की साख पर असर पड़ता है और इससे जनता का भरोसा कमज़ोर होता है।
गंभीर आरोपों और स्थानीय घटनाओं पर करारा रुख
राजभर ने विपक्ष द्वारा BLO की मृत्यु या अन्य घटनाओं को मुद्दा बनाने पर भी आपत्ति जताई — उनका कहना था कि कई मुद्दों को राजनीतिक ढंग से हवा दी जा रही है, जबकि असल समस्याओं के समाधान के लिए जमीन पर काम की ज़रूरत है। उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर को लेकर की गई राजनीतिक बहस का उदाहरण देते हुए कहा कि विपक्ष हर चीज़ को मुद्दा बना देता है। साथ ही उन्होंने पंचायत चुनाव की तैयारियों का दावा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने मतदाता सूची-संबंधी जानकारियों और प्रचार-प्रसार के काम को व्यवस्थित कर लिया है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और संभावित असर
राजभर की पार्टी (सुभासपा) की यूपी में स्थिति और बिहार में उनके हालिया राजनीतिक फैसलों की पृष्ठभूमि को देखते हुए उनके बयान को केवल एक स्थानीय प्रचार बयान के रूप में ही नहीं देखा जा सकता — इससे गठबंधन-संबंधी समीकरणों और स्थानीय वोट-बैंकों पर असर पड़ने की भी सम्भावना रहती है। राजभर की पार्टी का इतिहास और क्षेत्रीय सत्ता समीकरणों में उसका रोल मीडिया और राजनीतिक विश्लेषक पहले भी नोट कर चुके हैं; ऐसे मामलों में मतदाता-सूची का विशेष पुनरीक्षण (SIR) और उसका प्रचार दोनों ही चुनावी रणनीतियों का हिस्सा बन सकते हैं।
नोटः इस रिपोर्ट में राजभर के दावे और आरोपों को उनके उद्धरण के तौर पर पेश किया गया है। विपक्ष या चुनाव आयोग की तरफ़ से इस सुल्तानपुर बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया उपलब्ध होने पर उसे अलग कवरेज में शामिल किया जाएगा।














