नोएडा — नोएडा प्राधिकरण ने बरौला के सलारपुर/बरौला इलाके में हनुमान मंदिर के पास बनी कई वाणिज्यिक बिल्डिंगों को अवैध करार देते हुए उनके खसरा नंबरों की सूची विज्ञापन के माध्यम से जारी कर दी है। प्राधिकरण ने कहा है कि आवश्यक औपचारिकताओं के पश्चात इनमें से कई इमारतों की सीलिंग व ध्वस्तीकरण (demolition) की कार्रवाई की जाएगी और लोगों से अपील की गई है कि वे इन खसरा नंबरों पर किसी भी तरह का लेन-देन न करें।
किस-किन खसरा पर कार्रवाई का नोटिस है
प्राधिकरण ने जिन खसरा नंबरों का स्पष्ट रूप से जिक्र किया है उनमें (सूचना के अनुसार) 582, 601, 602, 603, 605, 606, 607, 608 और 609 शामिल हैं — ये जमीनें बरौला के हनुमान मूर्ति/मंदिर के आसपास स्थित बतायी गई हैं। विज्ञापन में इन भूखंडों पर बने ढांचे अवैध बताये गए हैं और शीघ्र कार्रवाई का संकेत दिया गया है।
प्राधिकरण का रुख और चेतावनी
नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डॉ. लोकेश एम ने मीडिया व सार्वजनिक चेतावनी के जरिए कहा है कि टीमों द्वारा सर्वे एवं पहचान की प्रक्रिया जारी है और नियमों के विरुद्ध पाए जाने पर प्राधिकरण सख्त कार्रवाई करेगा। साथ ही लोगों से आग्रह किया गया है कि भूमाफियाओं के झांसे में आकर न खरीदें — क्योंकि बाद में खरीदारों को कानूनी व आर्थिक जोखिम झेलने पड़ सकते हैं। पिछले महीनों में प्राधिकरण ने पांच गांवों में अवैध निर्माणों की पहचान कर इन्हें ‘illegal’ चिह्नित कर दिया था और कुछ स्थानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है।
कार्रवाई की प्रक्रिया — क्या होने की उम्मीद है
प्राधिकरण का कहना है कि नोटिस जारी करने, शिकायतों का निबंधन और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद संबंधित ढांचों की सीलिंग/ध्वस्तीकरण कार्यवाही की जाएगी। आमतौर पर ऐसे मामलों में मालिकों/किसी भी पक्ष को पक्ष रखने और कानूनी आवेदन का अवसर दिया जाता है; अगर मकान मालिक समय पर अपना पक्ष नहीं रखते तो प्राधिकरण आगे का कदम उठाता है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक प्राधिकरण ने पहले भी बड़ी संख्या में अवैध कब्जों की जमीनें रिकवर की हैं और मूल्यवान भूमि बचायी है — वही नीति अभी बरौला पर भी लागू की जा रही है।
सुपरटेक पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस जारी किया — जेनरेटर उत्सर्जन व चिमनी न होने का आरोप
इसी संदर्भ में, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने सुपरटेक के एक प्रोजेक्ट (Ecovillage-II / Greater Noida West / Sector-16B से संबंधित सूचनाएँ) के खिलाफ नोटिस जारी किया है। नोटिस का कारण साइट पर लगे जनरेटरों से होने वाले धुएँ/उत्सर्जन और मानकों के अनुरूप चिमनी न लगने की शिकायतें हैं — जिससे आस-पास की सोसाइटी (जैसे पंचशील ग्रीन्स-1) के फ्लैटों में धुआँ पहुँचने की समस्या उठी थी। बिल्डर पर पहले भी प्रदूषण और जल/स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक शिकायतों व जुर्मानों का रिकॉर्ड रहा है।
UPPCB के क्षेत्रीय अधिकारियों ने मामले की जांच के बाद रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी है और बिल्डर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है; मुख्यालय स्तर से आगे की कार्रवाई की संभावना जतायी जा रही है। इससे पहले भी संबंधित परियोजनाओं पर प्रदूषण मानकों का उल्लंघन मिलने पर जुर्माना व निर्देश दिए जा चुके हैं।
स्थानीय निवासियों की शिकायतें और प्रशासनिक कदम
निवासियों ने शिकायत की थी कि जनरेटरों का धुआँ उनके घरों तक आता है और स्वास्थ्य तथा जीवन-गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। इस पर UPPCB ने निरीक्षण कर कार्रवाई के संकेत दिए — कुछ मामलों में एक-दो जनरेटर हटाए जाने की बात भी सामने आई है, जबकि अन्य पर अभी नोटिस चल रहे हैं। विभाग ने यह आश्वासन दिया है कि नियमों के पालन तक और प्रभावी निवारक कदम उठाये जाएंगे।
जनता के लिए चेतावनी और आगे की संभावित कार्रवाई
नोएडा प्राधिकरण ने सार्वजनिक चेतावनी जारी की है — इन खसरा नंबरों पर बने अवैध भवनों में किसी प्रकार की खरीद-फरोख्त से जनता दूर रहे; खरीदारों को भविष्य में कानूनी व आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
जिन बिल्डरों/किरायेदारों/दुकानदारों की संपत्तियाँ नोटिस में हैं, उन्हें अपने दस्तावेज व कानूनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया जाएगा; इसके बाद प्राधिकरण आगे की कार्यवाही करेगा।
सुपरटेक या किसी भी बिल्डर के खिलाफ यदि पर्यावरण मानकों का उल्लंघन साबित होता है तो UPPCB तथा बाकी प्रशासनिक/न्यायिक संस्थान (मुख्यालय/DM/NGT आदि) आवश्यक दंडात्मक और निवारक कार्रवाई कर सकते हैं। पिछले सालों में इसी श्रेणी में जुर्माने व NGT तक की कार्रवाइयां देखी गयी हैं।
क्या आगे होगा (संक्षेप)
नोएडा प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए विज्ञापन/सूचना और UPPCB के नोटिस दोनों ही स्थानीय प्रशासन की सख्ती का संकेत हैं — अवैध निर्माणों व पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन पर अब तेजी से कार्रवाई की जा रही है। प्रभावित पक्षों के जवाब और न्यायिक/प्रशासनिक प्रक्रिया के आधार पर अगले कुछ सप्ताह में सीलिंग/ध्वस्तीकरण और प्रदूषण नियंत्रण संबंधी ठोस कदम देखने को मिल सकते हैं।