जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने रविवार को श्रीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने दिल्ली बम धमाके में शामिल बताए जा रहे कश्मीरी युवाओं को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना उन्हें भीतर तक हिला गई है।
महबूबा ने कहा कि वह लगातार कश्मीर के युवाओं से बातचीत कर रही हैं ताकि वे गलत रास्ते पर न जाएं और अपनी बेहतरी समझ सकें। “हम भविष्य में भी युवाओं से संवाद जारी रखेंगे ताकि वे बहकें नहीं,” उन्होंने कहा।
“कश्मीर की परेशानी लाल किले के सामने गूंज रही है”
PDP प्रमुख ने कहा कि कश्मीर की समस्याएं देश की राजधानी तक पहुंच चुकी हैं और सरकार यह सब जानती है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले 20 दिनों में यह दूसरी बार है जब उन्होंने दिल्ली ब्लास्ट को कश्मीर के हालात से जोड़ा है।
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार दुनिया को बताती है कि कश्मीर में सब ठीक है, लेकिन कश्मीर की परेशानी लाल किले के सामने गूंज रही है। अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करते थे, मगर मौजूदा सरकार ऐसा कोई प्रयास नहीं कर रही।”
“कश्मीर मुद्दे का नाम लेना भी अब गुनाह माना जाता है”
महबूबा ने कहा कि देश में हालात ऐसे हो गए हैं कि कश्मीर मुद्दे का नाम लेना भी अपराध जैसा माना जाने लगा है। उन्होंने दिल्ली धमाके में शामिल डॉक्टर का उदाहरण देते हुए कहा, “एक पढ़ा-लिखा युवक अपने ऊपर बम बांधकर बेगुनाहों की जान लेता है, यह चिंता की बात है। यह दिखाता है कि कहीं न कहीं कुछ बहुत गलत हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग केवल सम्मान के साथ जीना चाहते हैं। “हमने कभी नहीं कहा कि हमें पाकिस्तान में मिलाया जाए। हम सिर्फ इज्जत से अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं। अगर कश्मीर के पढ़े-लिखे युवाओं को सम्मान मिलेगा, तो उनकी जिंदगी बेहतर होगी।”
“कश्मीरी सम्मान चाहते हैं, और इसके लिए सुलह जरूरी है”
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर और देश के बीच भरोसे की बहाली बेहद जरूरी है। उन्होंने खुद को युवाओं और केंद्र के बीच “पुल” बनाने का प्रयास बताया।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और NSA को अपनी कश्मीर नीति की समीक्षा करनी चाहिए। 2019 के बाद सब कुछ उनके हाथ में है। अगर सब ठीक है, तो एक डॉक्टर को सुसाइड बॉम्बर बनने पर क्यों मजबूर होना पड़ा?”
महबूबा ने आरोप लगाया कि केंद्र की नीतियां पूरी तरह विफल हो चुकी हैं और अब समय है कि कश्मीर के मुद्दे को गंभीरता से समझा जाए।














