
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की। यह पिछले पांच वर्षों में उनकी उपराज्यपाल से पहली औपचारिक मुलाकात थी। इस बैठक को राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है, खासकर उस समय जब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने की कोशिशें चल रही हैं।
कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए सौंपा प्रस्ताव
महबूबा मुफ्ती ने इस मुलाकात के दौरान कश्मीरी पंडित समुदाय की सुरक्षित वापसी और पुनर्वास के लिए एक प्रस्ताव उपराज्यपाल को सौंपा। उन्होंने कहा कि पीडीपी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को अपने राजनीतिक एजेंडे में अहम स्थान दिया है।
“यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन हमने इसकी शुरुआत कर दी है। कश्मीरी पंडितों ने पंचायत चुनावों में भाग लिया था, अब यदि उन्हें विधानसभा चुनावों में आरक्षण दिया जाए तो यह उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में सबसे प्रभावी कदम होगा,” – महबूबा मुफ्ती
उन्होंने प्रस्ताव में यह भी शामिल किया कि हर विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवार को उनके मूल जिले में आधा कनाल सरकारी भूमि आवंटित की जाए, यदि वे लौटने की इच्छा रखते हैं।
अमित शाह और उमर अब्दुल्ला को भी भेजीं प्रस्ताव की प्रतियां
महबूबा मुफ्ती ने इस प्रस्ताव की प्रतियां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को भी भेजी हैं, जिससे इस संवेदनशील मुद्दे पर सर्वदलीय सहमति और राष्ट्रीय समर्थन हासिल किया जा सके।
दो विधानसभा सीटें आरक्षित करने की मांग
महबूबा ने प्रस्ताव में कश्मीरी पंडितों के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दो सीटों को आरक्षित करने की भी मांग की है, ताकि इस समुदाय की राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
अमरनाथ यात्रा और सुरक्षा को लेकर भी की चर्चा
पूर्व मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल के साथ आगामी अमरनाथ यात्रा के सुचारू संचालन पर भी चर्चा की। उन्होंने पहाेलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इससे घाटी के आम नागरिकों में भय और चिंता व्याप्त है।
“कश्मीरियों की भावना है कि अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीके से हो, लेकिन किसी भी तरह की हिंसा से यहां की छवि और समाज दोनों प्रभावित होते हैं।”
जेल में बंद कैदियों की ईद से पहले रिहाई की मांग
महबूबा मुफ्ती ने कम गंभीर आरोपों में बंद युवाओं और राजनीतिक कैदियों की ईद से पहले मानवीय आधार पर रिहाई की भी मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे कैदियों की रिहाई समाज में एक सकारात्मक संदेश दे सकती है।
महबूबा मुफ्ती का बयान:
“कश्मीरी पंडितों के बिना कोई भी राजनीतिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती। यह केवल सरकार की नहीं, बल्कि यहां की जनता और राजनीतिक दलों की भी जिम्मेदारी है कि पंडित समुदाय की वापसी और पुनर्वास सुनिश्चित हो।”
राजनीतिक संकेत: क्या फिर सक्रिय हो रही है पीडीपी?
महबूबा की उपराज्यपाल से मुलाकात को राजनीतिक विश्लेषक पीडीपी की नई सक्रियता के रूप में देख रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में जो ठहराव आया था, उसमें यह मुलाकात एक नई शुरुआत का संकेत हो सकती है।

VIKAS TRIPATHI
भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए “पर्दाफास न्यूज” चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।