संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को दिल्ली के शांग्री-ला होटल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा विपक्षी सांसदों के लिए एक विशेष डिनर मीटिंग आयोजित की गई। इस बैठक में देश के वर्तमान हालात, अल्पसंख्यकों के अधिकार, सामाजिक न्याय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर गंभीर मंथन हुआ। बैठक में शामिल सांसदों और जमीयत के नेताओं ने पाँच प्रमुख मुद्दों पर गहन चर्चा की।
सांसदों की मौजूदगी और मुख्य एजेंडा
इस बैठक में समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन, जियाउर्रहमान बर्क, हरेंद्र मलिक, मोहिबुल्लाह नदवी, कांग्रेस के इमरान मसूद, इमरान प्रतापगढ़ी, जावेद खान, नेशनल कॉन्फ्रेंस के आगा रुहुल्ला मेहंदी, मियां अल्ताफ और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद जैसे कई प्रमुख विपक्षी नेता शामिल हुए।
जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि बैठक का उद्देश्य केवल मेल-मिलाप नहीं था, बल्कि देश के संवेदनशील हालात और खास तौर पर अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर एक साझा रणनीति बनाना भी था।
पाँच अहम मुद्दे जो चर्चा में छाए रहे:
1 असम में बुलडोजर कार्रवाई:
मीटिंग में असम में कथित अतिक्रमण के नाम पर चल रही बुलडोजर कार्रवाई को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई। प्रस्ताव रखा गया कि एक संसदीय समिति का गठन कर उसे असम भेजा जाए, जो बेघर हुए लोगों से मिलकर उनकी स्थिति का आकलन करे और पुनर्वास सुनिश्चित करने की दिशा में काम करे।
2 हेट स्पीच और हेट क्राइम:
देश में बढ़ती नफरत की घटनाओं और समुदाय विशेष के खिलाफ दिए जा रहे भड़काऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग उठी। सभी सांसदों ने एक सुर में कहा कि इस पर संसद और सार्वजनिक मंचों पर खुलकर बात की जानी चाहिए।
3 बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR):
बैठक में बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर भी चिंता जाहिर की गई। मौलाना महमूद मदनी ने स्पष्ट कहा कि किसी भी नागरिक का मतदान का अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए और इस मुद्दे पर देशव्यापी जागरूकता की जरूरत है।
4 जातिगत जनगणना:
मीटिंग में जातिगत जनगणना के पक्ष में प्रस्ताव पारित हुआ। मौलाना मदनी ने कहा कि यह केवल सामाजिक न्याय का मामला नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय सहित सभी पिछड़े वर्गों की आवश्यकता है।
5 फिलिस्तीन मुद्दा:
विदेश नीति के मोर्चे पर, फिलिस्तीन को लेकर भारत सरकार की मौजूदा नीति पर कई सांसदों ने असहमति जताई। उनका कहना था कि भारत को इंसानियत के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। प्रस्ताव रखा गया कि फिलिस्तीन के समर्थन में राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।
मौलाना मदनी का आह्वान: एकजुटता की जरूरत
मीटिंग के अंत में जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “यह समय विभाजन नहीं, एकजुटता का है। मुस्लिम समाज की आवाज़ को संसद में और बाहर दोनों जगह मजबूती से उठाया जाना चाहिए।”