नई दिल्ली — मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर हुई लंबी चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार और चुनाव आयोग पर तीखे आरोप लगाए, जबकि भाजपा ने उनके बयानों का कड़ा पलटवार किया।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं है और नियुक्ति प्रक्रिया सत्ता पक्ष के प्रभाव में रह गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि CEC के चयन में चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) का क्या योगदान है और चुनाव आयोग अब सत्ता के निर्देशों पर काम कर रहा है। राहुल ने यह भी पूछा कि आयोग को सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने का अधिकार किसने दिया और CEC के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान क्यों हटाए गए — इन बदलावों से आयोग की निष्पक्षता पर असर पड़ रहा है, उनका कहना था।
बीजेपी ने राहुल के आरोपों को झूठ और भ्रामक बताया। पार्टी ने लोकसभा में तर्क दिया कि राहुल गांधी भुला रहे हैं कि पिछली बार CEC की नियुक्ति कैसे हुई और क्या कोई चुनाव आयुक्त ऐसा था जिसे CJI या विपक्षी नेता वाली समिति ने चुना हो। पार्टी ने यह भी याद दिलाया कि 2005 में सोनिया गांधी ने नवीन चावला को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था और 2012 में भी कांग्रेस ने वी.एस. संपत को सीईसी नियुक्त किया था — तब विपक्ष को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था, बीजेपी ने कहा।
भाजपा ने आगे कहा कि विपक्ष के नेता अब CEC के चयन के लिए बनी समिति का हिस्सा हैं और यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक नया कानून नहीं बनता। पार्टी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी केवल नाटक कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस शासनकाल में भी नियुक्तियों में समान पद्धति अपनाई गई थी।
किसी ने सीधे-सीधे नाम देने का दावा किया है — संसद की बहस में बीजेपी ने पूछा कि क्या राहुल कोई ऐसे चुनाव आयुक्त का नाम बता सकते हैं जिसे CJI या विपक्षी नेता वाली समिति द्वारा चुना गया हो। बीजेपी ने यह भी कहा कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले लालकृष्ण आडवाणी द्वारा एक “कॉलेजियम” बनाने का सुझाव दिया गया था, जिसे कांग्रेस ने अनदेखा कर दिया और सीधे वी.एस. संपत को सीईसी नियुक्त कर राष्ट्रपति (तत्कालीन) प्रतिभा पाटिल से मंजूरी ले ली थी — यह भी विपक्ष को विश्वास में न लेने के आरोप की बाबत पार्टी का तर्क रहा।
🚨Rahul Gandhi Lies In Parliament
Rahul Gandhi says Election Commissioners used to be selected by committee consisting of CJI and LoP.
Can Rahul name one election commissioner during Congress govt chosen by committee with either CJI or LoP?
The committee was made… pic.twitter.com/whlPEEhj4j
— BJP (@BJP4India) December 9, 2025
लोकसभा में चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग की भूमिका, नियुक्ति प्रक्रिया और सुधारों की प्रासंगिकता पर तीखी बहस की। विपक्षी तर्क रहा कि आयोग की स्वतंत्रता और पारदर्शिता बनाए रखना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, जबकि सरकार के समर्थक और बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस अपने शासनकाल के निर्णयों को भूलकर आज आरोप लगा रही है।
यह बहस संकेत देती है कि चुनाव सुधार का विषय न केवल व्यवस्थागत बदलावों पर बल्कि राजनीतिक सहमति और विश्वास पर भी टिका हुआ है। संसद में चल रही बहस और उठाए गए आरोप–प्रत्यारोप से साफ है कि यह मुद्दा आगे भी राजनीतिक व विधायी विमर्श का हिस्सा बना रहेगा।














