सोना, जिसे अब तक सबसे सुरक्षित निवेश (Safe Haven) माना जाता रहा है, इस समय बड़े झटके से गुजर रहा है। रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छूने के बाद सोने की कीमतों में 12 साल की सबसे बड़ी एक-दिनी गिरावट दर्ज की गई है। यह भारी गिरावट मंगलवार से शुरू हुई और बुधवार को भी जारी रही।
तेज़ मुनाफावसूली से बाजार में ‘गोल्ड क्रैश’
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यह गिरावट मुख्य रूप से “प्रॉफिट-टेकिंग” यानी मुनाफावसूली के कारण आई है। इस साल सोने और चांदी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी ने एक “बबल” बनने की आशंका बढ़ा दी थी। अब वही निवेशक जिन्होंने ऊंचे दामों पर सोना खरीदा था, तेजी से मुनाफा निकालने में जुट गए हैं।
KCM ट्रेड के चीफ मार्केट एनालिस्ट टिम वॉटरर के मुताबिक, “मुनाफावसूली की शुरुआत एक ‘स्नोबॉल इफेक्ट’ में बदल गई। कीमतें असामान्य स्तर तक पहुंच चुकी थीं, और ट्रेडर्स के लिए यह मुनाफा काटने का सही वक्त था।”
मंगलवार को सोने में 6.3% की गिरावट आई — जो पिछले 12 वर्षों की सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट थी। बुधवार को भी यह रुझान जारी रहा, जब सोना 2.9% गिरकर $4,004.26 प्रति औंस तक आ गया। चांदी की कीमतों में भी भारी गिरावट देखी गई — मंगलवार को 7.1% टूटने के बाद बुधवार को यह 2% से अधिक फिसलकर $47.6 पर पहुंच गई।
शेयर बाजार पर मिला-जुला असर
सोने-चांदी की इस भारी गिरावट का असर वैश्विक बाजारों में भी दिखा।
एशियाई बाजारों में मिश्रित रुख देखा गया — ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग के इंडेक्स गिरे, जबकि जापान में स्थिरता रही।
अमेरिकी शेयर बाजार (वॉल स्ट्रीट) इस उथल-पुथल से लगभग अछूता रहा। S&P 500 मंगलवार को लगभग सपाट बंद हुआ, क्योंकि निवेशकों का ध्यान अभी कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजों पर है।
अमेरिकी ‘शटडाउन’ से बढ़ी अनिश्चितता
इस उथल-पुथल के बीच एक बड़ी चिंता का कारण है — अमेरिकी सरकार का “शटडाउन”, जो लंबे समय से जारी है।
इसके चलते Commodity Futures Trading Commission (CFTC) की साप्ताहिक रिपोर्ट जारी नहीं हो पा रही है। यह रिपोर्ट बताती है कि बड़े संस्थागत निवेशक (जैसे हेज फंड) सोने-चांदी में कितनी खरीद या बिक्री कर रहे हैं।डेटा की कमी के कारण विश्लेषकों को अब सिर्फ अनुमान पर भरोसा करना पड़ रहा है।
ANZ Group Holdings के विश्लेषक ब्रायन मार्टिन और डैनियल हाइन्स का कहना है,
“हमारा अनुमान है कि सोने में खरीदारी की पोज़िशन बहुत अधिक हो चुकी थी, जिसके कारण आखिरकार यह बड़ी बिकवाली देखने को मिली।”
क्या खत्म हो गई सोने की चमक?
सबसे अहम सवाल यही है कि क्या सोने की बुल रैली अब थम गई है?
ज़्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट सिर्फ एक “करेक्शन” है, न कि ट्रेंड का अंत।
Citi Index के विश्लेषक फवाद रज़ाकज़ादा के अनुसार,
“सोने की हालिया रैली असाधारण थी — इसे गिरती ब्याज दरों, केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी और मौद्रिक नीतियों में नरमी की उम्मीदों से बल मिला था। बाजार कभी सीधी रेखा में नहीं चलते, और यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि तेजी खत्म हो गई है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने के दीर्घकालिक समर्थन कारक अभी भी मज़बूत हैं। कई निवेशक इस गिरावट को एक नए अवसर — ‘Buy the Dip’ यानी गिरावट में खरीदारी — के रूप में देख रहे हैं, जो बाजार को स्थिरता दे सकती है।
हाल की गिरावट ने सोने के निवेशकों को झटका जरूर दिया है, लेकिन दीर्घकाल में इसकी ‘गोल्डन वैल्यू’ बरकरार रहने की संभावना मजबूत है। बाजार फिलहाल एक स्वाभाविक सुधार (Correction Phase) से गुजर रहा है, न कि किसी स्थायी गिरावट से।





 
                                    










