
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष तीर्थयात्रियों पर हुए क्रूर आतंकी हमले के बाद पूरे विश्व ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है। न केवल अमेरिका, यूरोपीय संघ और इज़राइल ने समर्थन किया, बल्कि इक्कीसवीं सदी के संघर्षभूमि कहे जाने वाले मध्य पूर्व में भी अचंभित करने वाली दोस्ती देखने को मिली।
◆ महमूद अब्बास का हार्दिक पत्र
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम अपनी फर्माइश में लिखा:
“हम इस जघन्य कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं। भारत की शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने में हमारा अटूट समर्थन है। मासूमों की शहादत पर हमारी गहरी संवेदना स्वीकार करें।”
यह संदेश खास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिलिस्तीन और इज़राइल दशकों से विरोध की राह पर हैं, फिर भी वहां के सर्वोच्च आकाओं ने भारत की पीड़ा में साथी बनने का रास्ता चुना।
◆ किसने-कैसे जताया समर्थन
दुनिया भर से मिली प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार रहीं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, आस्ट्रेलिया ने कड़ी भर्त्सना की और सुरक्षात्मक सहायता का भरोसा दिया।
- इज़राइल, यूक्रेन, तुर्की, मॉडोवा, एस्टोनिया जैसे देश भी मानवीय संवेदना के नाम पर साथ खड़े हुए।
- नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, यूएई, जापान, चिली, अर्जेंटीना ने स्पष्ट किया—भारत की सुरक्षा को नरसंहार के ठीक पहले अंकुश लगाने के लिए हर संभव सहयोग करेंगे।
हर बयान ने दो बातें जोर-शोर से कही: “आतंकवाद के आगे झुकना हमारा साझा अपमान है” और “भारत को अकेला नहीं छोड़ेंगे।”
◆ पाकिस्तान की घबराहट
भारत के कूटनीतिक और सैन्य एक्शन के दबाव से पाकिस्तान में तनाव चरम पर है:
- पाक सेना ने एलओसी पर अलर्ट बढ़ा दिया है।
- विपक्षी दल राष्ट्रवाद के सुर में साथ आ रहे हैं, ताकि सरकार को समर्थन का संदेश मिले।
- रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने आगाह किया कि भारत के किसी भी ‘संभावित’ जवाबी कदम के लिए चौकस हैं।
पाक सरज़मीं पर हर ओर ‘अगले सर्जिकल स्ट्राइक’ का खौफ़ मंडरा रहा है।
◆ अब क्या होगा आगे?
- भारत संयुक्त राष्ट्र समेत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंक का संरक्षक बताकर अलग-थलग करेगा।
- सैन्य और खुफिया एक्शन तेज़ होंगे—भूमिगत आतंक लोध उजागर कर जवाबी कार्रवाई की योजना बन रही है।
- जो भी देश आतंक के विरुद्ध निडर रुख अपनाएंगे, उन्हें भारत की पूर्ण समर्थन-राशि का भरोसा मिलेगा।
पहलगाम की हवाओं में उठी यह आंच अब पूरे विश्व में गूँजेगी: जहाँ भी निर्दोषों का कत्लेआम होगा, वहाँ भारत का रुख अडिग रहेगा।