
हरियाणा की बेटी सुलेखा कटारिया ने पारिवारिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी प्रतिभा के दम पर राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया। उनकी यह कहानी साबित करती है कि “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”
छोटे से गांव से राष्ट्रपति भवन तक का सफर
भिवानी जिले के छोटे से गांव ढाबढाणी में जन्मी सुलेखा का बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता एक छोटे किसान और दर्जी का काम करते थे। चार भाई-बहनों के परिवार में आर्थिक तंगी ने हमेशा रुकावटें डालीं, लेकिन सुलेखा के हौसले कभी नहीं टूटे।
गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने राजीव गांधी महिला महाविद्यालय, भिवानी से स्नातक और फिर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। हालांकि, पढ़ाई के दौरान उन्हें कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कॉलेज की फीस और ऑटो का किराया जुटाना भी मुश्किल था।
भाई की बीमारी और मजबूरी में नौकरी
सुलेखा के संघर्ष को तब और गहरा धक्का लगा जब कोरोना काल में उनके बड़े भाई की दोनों किडनियां खराब हो गईं। इस हादसे ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। मजबूरी में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्हें दिल्ली में नौकरी करनी पड़ी।
पेंटिंग में छुपी थी कामयाबी की राह
गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान गीता जयंती महोत्सव में भाग लेने के दौरान सुलेखा की बनाई पेंटिंग को ब्लॉक स्तर पर पहला स्थान मिला। इसी मोमेंट ने उन्हें एहसास कराया कि उनकी कला में कुछ खास है। इसके बाद उन्होंने अपनी पेंटिंग स्किल्स को निखारना शुरू किया और कई जिला एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
मार्च 2024 में दिल्ली के ऐतिहासिक पुराना किला में आयोजित राष्ट्रीय वर्कशॉप में उन्हें भाग लेने का मौका मिला। इस वर्कशॉप की थीम थी— “विकसित भारत: विजन 2047”। सुलेखा ने एक विशेष पेंटिंग बनाई— ‘भारत का मानचित्र’, जिसमें हाल ही में लॉन्च हुए चंद्रयान को दर्शाया गया और भारत के माथे की शान— हरियाणा की पगड़ी को उकेरा। उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि यह पेंटिंग उनकी जिंदगी बदलने वाली है।
राष्ट्रपति भवन से आया आमंत्रण
कुछ दिनों बाद, सुलेखा को राष्ट्रपति भवन से एक कॉल आया— “आपकी पेंटिंग देश की टॉप 15 पेंटिंग्स में शामिल हुई है और आपको राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया जा रहा है!” पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ, लगा कि यह कोई स्कैम है। लेकिन जब आधिकारिक निमंत्रण पत्र आया, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
राष्ट्रपति भवन में मिली खास पहचान
राष्ट्रपति भवन पहुंचने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी कला की सराहना की और सबसे खास बात यह रही कि उनकी पेंटिंग को राष्ट्रपति भवन के एक विशेष हॉल में स्थायी रूप से प्रदर्शित किया गया।
प्रेरणा बनीं सुलेखा
गांव की पगडंडियों से राष्ट्रपति भवन की भव्य दीवारों तक अपनी पेंटिंग को देखना सुलेखा के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। वह कहती हैं— “अगर आपके अंदर धैर्य और मेहनत करने की इच्छा है, तो कोई भी विपरीत परिस्थिति आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती।”
आज सुलेखा कटारिया छोटे गांवों की उन लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो बड़े सपने देखती हैं और उन्हें सच करने की हिम्मत रखती हैं।

VIKAS TRIPATHI
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