देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य सरकार के कामकाज पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। रावत ने आरोप लगाया कि कुछ मामलो में अधिकारियों की निष्क्रियता और लंबित कार्रवाईयों के कारण पार्टी की जनछवि को नुकसान हो रहा है और यह स्थिति सुधारी जानी चाहिए।
त्रिवेंद्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “कुछ मामलों में पुलिस ने आठ महीने बीतने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की है। इससे जनता का विश्वास कमजोर होता है और भाजपा की छवि प्रभावित हो रही है।” उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर गंभीरता से विचार कराकर प्रशासनिक प्रक्रिया में सुधार जरूरी है।
विधायकों और मंत्रियों पर उठे सवाल
रावत ने न सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाईयों पर सवाल उठाए बल्कि पार्टी के विधायकों के कामकाज पर भी असंतोष जताया। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में भाजपा के 47 विधायक और 5 सांसद हैं—हमें जनता का विश्वास हर हाल में बनाए रखना होगा। जनता की समस्याओं का त्वरित और प्रभावी समाधान प्राथमिकता होनी चाहिए।”
इसके बाद पार्टी के भीतर उठते असंतोष के स्वर तेज हो गए। पिथौरागढ़ की दीदीहाट विधानसभा से वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने मुख्यमंत्री पर “अक्षम नेताओं” को शासकीय पद देने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसी नियुक्तियाँ स्थानीय विकास कार्यों में बाधा डाल रही हैं।
उधमसिंह नगर के गदरपुर विधायक अरविंद पांडे ने भी क्षेत्र में अनियंत्रित खनन का संकट उठाते हुए कहा कि माफिया नदियों में खनन कर रहे हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
पुलिस ने अफवाह फैलाने पर कड़ी चेतावनी दी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार पर चल रही आलोचनाओं के बीच देहरादून पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री वर्तमान में मूसलाधार वर्षा से उत्पन्न बाढ़ व भूस्खलन जैसी आपदाओं से निपटने में व्यस्त हैं, इसलिए मुख्यमंत्री बदलने वाली अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने देहरादून ज़िला भाजपा अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल की शिकायत पर फेसबुक पर तीन पेज संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
कांग्रेस के आरोपों का खंडन
रावत ने कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत द्वारा लगे धन-उगाही के आरोपों का भी खंडन किया। हरक सिंह ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र के मंत्री रहते भाजपा के लिए 30 करोड़ रुपये कैश जुटाए गए—जिसमें खनन से जुड़ा एक करोड़ भी शामिल था। त्रिवेंद्र ने कहा कि उस दौरान पार्टी को 27 करोड़ रुपये चेक के माध्यम से प्राप्त हुए थे और वे उन आरोपों से असहमत हैं।
हाल ही में त्रिवेंद्र ने संसद में भी उत्तराखंड में “बेरोकटोक अवैध खनन” का मुद्दा उठाकर राज्य सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े किए थे। उनका कहना है कि बढ़ती शिकायतों और स्थानीय स्तर पर उठते मुद्दों पर समुचित कार्रवाई न होने की स्थिति पार्टी व प्रशासन दोनों के लिए चिंताजनक है।
नतीजा: पार्टी में बढ़ता तनाव
त्रिवेंद्र के सुर उठने के बाद भाजपा के अंदर गुटबंदी और आरोप-प्रत्यारोप की खबरें तेज हो गई हैं। पार्टी नेतृत्व के सामने अब चुनौती यह है कि स्थानीय शिकायतों का त्वरित समाधान कर जनता का विश्वास बनाये रखा जाए और साथ ही अंदरूनी मतभेदों को कूटनीतिक रूप से संभाला जाए ताकि सरकार व पार्टी दोनों की छवि सुरक्षित रहे।