
लखनऊ/गोरखपुर।
उत्तर प्रदेश की राजनीति के चर्चित चेहरे और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। करीब 700 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले से जुड़े मामले में ED ने लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई, गुरुग्राम सहित कई शहरों में एक साथ छापेमारी की है। यह कार्रवाई गुरुवार सुबह से शुरू हुई और कई घंटों तक चली।
ईडी सूत्रों के अनुसार, यह मामला 2012 से 2016 के बीच विभिन्न बैंकों से लिए गए लोन में धोखाधड़ी और फंड डायवर्जन से जुड़ा है। बैंक ऑफ इंडिया समेत कई राष्ट्रीयकृत बैंकों की शिकायत के आधार पर पहले ही CBI ने केस दर्ज किया था, जिसके बाद अब ईडी ने अपनी जांच में तेजी लाते हुए यह छापेमारी की है।
किन-किन जगहों पर मारे गए छापे?
ED ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज नामक कंपनी के कार्यालयों के अलावा, विनय शंकर तिवारी से जुड़े 10 से अधिक ठिकानों पर दबिश दी। इनमें लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई और गुरुग्राम शामिल हैं। यह वही कंपनी बताई जा रही है जिसके जरिए बैंकों से लिए गए लोन को कथित रूप से दूसरी जगहों पर निवेश किया गया।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहला मौका नहीं है जब विनय शंकर तिवारी ईडी के निशाने पर आए हैं। फरवरी 2024 में भी ईडी ने इसी मामले में कार्रवाई करते हुए लखनऊ, गोरखपुर और महराजगंज में स्थित उनकी करीब 72 करोड़ रुपये की 27 संपत्तियों को अटैच किया था।
कौन हैं विनय शंकर तिवारी?
विनय शंकर तिवारी, पूर्वांचल के कद्दावर नेता और बाहुबली छवि वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं। वे चिल्लूपार विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। पहले वे बहुजन समाज पार्टी (BSP) से जुड़े थे, लेकिन 2021 में समाजवादी पार्टी (SP) में शामिल हो गए। गौरतलब है कि जिस सीट से विनय विधायक चुने गए थे, वहीं से उनके पिता हरिशंकर तिवारी 6 बार विधायक रह चुके हैं।
ईडी की यह कार्रवाई न सिर्फ तिवारी परिवार के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है, बल्कि यूपी की राजनीति में भी हलचल मचा रही है। अब देखना होगा कि इस बहुचर्चित बैंक लोन घोटाले में आगे क्या खुलासे होते हैं और ईडी की जांच किन-किन राजनीतिक चेहरों तक पहुंचती है।

VIKAS TRIPATHI
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