Thursday, July 31, 2025
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“सावन माह की भक्ति में डूबे विशेष बच्चे – रुद्राभिषेक के जरिए शिवभक्ति और आत्मसम्मान का अनूठा संगम”

नोएडा, सेक्टर-70 –श्रावण मास की पावन बेला पर जब वातावरण शिवमय हो उठा, उस समय फर्स्ट-1 रिहैब सेंटर में एक अत्यंत भावपूर्ण और अद्वितीय दृश्य देखने को मिला। यहां दिव्यांग बच्चों ने पूरे श्रद्धा भाव से रुद्राभिषेक कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इन मासूमों की भक्ति और समर्पण ने सभी उपस्थित जनों के हृदय को गहराई से छू लिया।

यह आयोजन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं था, बल्कि एक सशक्त सांस्कृतिक और आत्मिक पहल थी, जिसके माध्यम से बच्चों को अपनी सनातन परंपरा से जोड़ने का प्रयास किया गया। रुद्राभिषेक के दौरान बच्चों ने मंत्रों की गूंज, बेलपत्र, गंगाजल और दूध के साथ भोलेनाथ का अभिषेक किया, मानो स्वयं कैलाश के वासी इन नन्हे भक्तों की आराधना सुन रहे हों।


“आध्यात्मिकता के माध्यम से आत्मबल का संचार”

फर्स्ट-1 सेंटर की मैनेजर सुरभि जैन ने बताया:“हमारे लिए यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक चिकित्सीय दृष्टिकोण भी है। आध्यात्मिक कार्यक्रम बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास में अत्यंत सहायक होते हैं। इनसे बच्चों में आत्मविश्वास और सामुदायिक जुड़ाव की भावना विकसित होती है। हमारा प्रयास है कि ये बच्चे स्वयं को समाज से अलग न समझें, बल्कि गौरव से जुड़ें अपनी संस्कृति से।”

इस पावन अवसर पर बच्चों के साथ-साथ उनके परिजन, रिहैब सेंटर के शिक्षक, और क्षेत्रीय गणमान्यजन भी सम्मिलित हुए। इस सामूहिक भागीदारी ने आयोजन को केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक चेतना का उत्सव बना दिया।


उपस्थित विशिष्ट जनों में शामिल रहे:

▪️ कृष्णा यादव
▪️ डॉ. एलिका
▪️ डॉ. सुस्मिता भाटी
▪️ डॉ. दीक्षा श्रीवास्तव
▪️ डॉ. महिपाल सिंह
▪️ सौम्या सोनी

इन सभी ने बच्चों के इस भक्ति-प्रयास की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से न केवल समाज में समावेशिता का संदेश जाता है, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की जड़ें अगली पीढ़ी तक मजबूती से पहुँचती हैं।


हमारी संस्कृति, हमारी शक्ति

आज के समय में जब बच्चों को आधुनिकता की आंधी में अपनी जड़ों से दूर ले जाया जा रहा है, ऐसे में यह आयोजन एक प्रेरक संदेश देता है –
“भगवान से जुड़ना, अपनी संस्कृति से जुड़ना है – और यही जुड़ाव आत्मबल का आधार बनता है।”


संवेदनशील समाज की पुकार:

“हर बच्चे को चाहिए न केवल शिक्षा, बल्कि संस्कृति का स्पर्श।
और हर समाज को चाहिए वह दृष्टि, जो हर विशेष बच्चे में दिव्यता को देख सके।”

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VIKAS TRIPATHI
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