दिल्ली, 10 नवंबर (शाम 6:52) — लाल किले के नज़दीक लगे बाजार में 10 नवंबर की शाम हुए शक्तिशाली विस्फोट ने सिर्फ राजधानी ही नहीं, पूरे देश को संघा देने वाली सनसनी फैला दी। घटनास्थल पर अफरा-तफ़री, बचावकार्य और जांच एजेंसियों की सक्रियता के बीच सुरागों की पृष्ठदर पृष्ठदर पड़ताल शुरू हुई। शुरुआती छानबीन में जो तस्वीर उभर कर आई, वह बताती है कि यह कोई दुर्घटना नहीं बल्कि सुनियोजित आतंकी साजिश थी — और अब जांचकर्ता उस बड़े सवाल पर टिके हैं: इस मॉड्यूल का मास्टरमाइंड कौन है?
विस्फोट की टाइमलाइन और शुरुआती सुराग
पुलिस के अनुसार 10 नवंबर शाम 6:52 बजे HR26CE7674 (i20) नंबर की गाड़ी लाल किले के पास आई थी। उसी में विस्फोट हुआ जिसने बाजार में दहशत मचा दी। घटनास्थल से जुटाए गए सुराग — वाहन का रजिस्ट्रेशन, फॉरेंसिक साक्ष्य और गवाहों के बयान — जांच टीमों द्वारा जोड़कर आगे की पड़ताल शुरू कर दी गई। शुरुआती संकेतों से साफ़ हुआ कि धमाका किसी स्थानीय बदमाशाना गुहार से ज़्यादा संगठित साज़िश का हिस्सा था।
मॉड्यूल के तीन ‘सूत्रधार’ — आरोप और भूमिका
जांच में सामने आई जानकारी के मुताबिक़, इस आतंकी मॉड्यूल के कम-से-कम तीन अहम चेहरों का नाम उभर कर आया है:
1.मुफ्ती इरफान अहमद — कथित रूप से ब्रेनवॉश और आतंकी रिक्रूटमेंट का जिम्मेदार। जांच में है कि वह प्रशिक्षित प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यों को वैचारिक तौर पर तैयार करता था।
2.डॉ. आदिल — लॉजिस्टिक्स और बारूद सप्लाई का प्रमुख; उसे बारूद के भंडार और संरचना की ज़िम्मेदारी बताई जा रही है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार 2,900 किलो विस्फोटक जब्त करने में आदिल की भूमिका की कड़ी मिली है।

3.शाहीन सईद — फंडिंग-चेहरा; आरोप है कि पाकिस्तान और अन्य स्रोतों से फंडिंग जुटाकर आतंकी संचालन को आर्थिक मदद पहुँचा रही थी। जांच के दौरान यह भी कहा गया है कि शाहीन का जैश-कनेक्शन और मसूद अजहर परिवार से संपर्क चर्चा में है।
जांच सूत्रों का कहना है कि शाहीन के माध्यम से मुजम्मिल नामक सदस्य तक पैसे भेजे गए, जबकि हैंडलर्स तारिक और आमिर ने फंडिंग की तार जोड़ने में भूमिका निभाई। परवेज अंसारी नाम के एक और व्यक्ति के फंडिंग में शामिल होने की भी जांच चल रही है।
विस्फोटकों के स्रोत और ढुलाई मार्ग
जांच में सामने आया है कि विस्फोटक बड़े पैमाने पर — कथित तौर पर बांग्लादेश से — चोरी कर लाई गई यूरिया/फर्टिलाइज़र (या उससे मिलने वाले घटक) से निर्मित थे। बताया जा रहा है कि कुल 3,200 किलो की खेप नेपाल के रास्ते भारत लाई गई, जिनमें से 2,900 किलो पुलिस ने जब्त किए; बची 300 किलो की खोज जारी है। फरीदाबाद के खंदावली इलाके में विस्फोटकों के छिपाने और वाहन छुपाने के ठिकानों पर दबिशें सम्भवतः इसी जानकारी के आधार पर की गईं।
वाहन और गिरफ्तारी की खबरें
जांच में बड़ी सफलता के रूप में पुलिस ने खंदावली गांव से लाल रंग की Eco Sports कार बरामद की है — वही कार जिसका पता आतंकवादी उमर के नाम से जुड़ा बताया जा रहा है। जांचकर्ताओं को शक है कि कार का रंग बदलकर पहचान छुपाने का प्रयास किया गया था। अधिकारी स्पष्ट कर चुके हैं कि इस हमले के किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों को कानून की अदालतों में लाया जाएगा।

अनसुलझी कड़ियाँ और आगे की जांच
अभी भी कई प्रश्न अनुत्तरित हैं — क्या लाल किला प्राथमिक निशाना था या पूरे देश में बहु-स्थानीय हमलों की योजना थी? क्या मास्टरमाइंड अभी गिरफ्तार है या किसी छिपे नेटवर्क के पीछे अभी भी सक्रिय हैं? जांच एजेंसियाँ दिल्ली-फरीदाबाद-लखनऊ-सहारनपुर-हैदराबाद-अहमदाबाद तक लगातार छापे मार रही हैं और हर रोज़ नई कड़ियाँ सामने आ रही हैं। मसूद अजहर के संभावित कनेक्शन की पड़ताल भी चल रही है — परंतु जांच पूरी तरह से सबूतों पर आधारित है और अभी कई निष्कर्ष प्रारम्भिक अवस्था में हैं।
निष्कर्ष
10 नवंबर का धमाका योजना, लॉजिस्टिक्स और फंडिंग के एक बड़े नेटवर्क का संकेत देता है — एक ऐसा नेटवर्क जिसे तोड़ने के लिये बहु-राज्य और केंद्रीय स्तर पर समन्वित कार्रवाई की जरूरत है। अभी तक जिन नामों और तथ्यों का खुलासा हुआ है, वे जांच के रोशन-पथ पर महत्वपूर्ण पड़ाव हैं, पर अंतिम तस्वीर तभी साफ़ होगी जब सबूतों की परतें पूरी तरह खुलेंगी और अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होगी।














