Wednesday, November 26, 2025
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सीजेआई बी.आर. गवई की विदाई: कोर्ट रूम में वकील ने की पुष्पवर्षा की कोशिश, न्यायालय में गूँजे ठहाके

मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की औपचारिक विदाई के दौरान शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम नंबर-1 में एक हल्का-फुल्का और यादगार प्रसंग देखने को मिला। विदाई भाषण देते हुए एक वकील ने भावुक सम्मान प्रकट करते हुए सीजेआई गवई पर फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा करने की इच्छा जताई।

वकील ने मंच पर आते ही कहा कि वे मुख्य न्यायाधीश के प्रति सम्मान स्वरूप पंखुड़ियों का एक पैकेट लेकर आए हैं। उन्होंने पैकेट खोला और कुछ पंखुड़ियाँ हाथ में लेकर वर्षा का संकेत भी किया। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कर पाते, मुख्य न्यायाधीश गवई हंसते हुए तुरंत बोल पड़े— “नहीं, नहीं… फेंको मत, इसे किसी और को दे दो।” उनके इतना कहते ही खचाखच भरे कोर्ट रूम में ठहाके गूंज उठे और वातावरण पूरी तरह हल्का-फुल्का हो गया।


गवई का आख़िरी कार्यदिवस

यह घटना सीजेआई गवई के सम्मान में आयोजित औपचारिक पीठ (Full Court Reference) के दौरान हुई। 23 नवंबर उनका अंतिम कार्यदिवस है, जिसके साथ ही वे न्यायिक सेवा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

संविधान के अनुच्छेद 124(2) के अनुसार अगला मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत होंगे। वरिष्ठता क्रम के आधार पर सीजेआई गवई ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नामित किया है। जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे।


पहले बौद्ध और दूसरे दलित सीजेआई

सीजेआई बी.आर. गवई का छह महीने और दस दिनों का कार्यकाल कई कारणों से महत्वपूर्ण रहा।

वे भारत के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश रहे।

उनके कार्यकाल के दौरान संविधान पीठ ने कई अहम मामलों की सुनवाई की।

इसी अवधि में एक बार फिर राष्ट्रपति की ओर से भेजा गया विशेष संदर्भ (Presidential Reference) भी देखने को मिला, जो अपने-आप में दुर्लभ है।


लंबित मामलों का रिकॉर्ड भी बना

गवई के कार्यकाल का एक उल्लेखनीय पहलू सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या का 90,000 के आंकड़े को पार करना भी रहा। 19 नवंबर 2024 तक अदालत में 90,167 मामले लंबित थे।1993 के बाद यह पहली बार था जब लंबित मामलों की संख्या 90,000 से ऊपर गई। हालांकि उस समय मामलों की गिनती की पद्धति अलग थी, जिसमें एक ही केस से जुड़े अपीलों और संबंधित मामलों को अलग-अलग गिना जाता था। बाद में इस पद्धति में संशोधन किया गया।

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VIKAS TRIPATHI
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