Fairness Cream: फेयरनेस क्रीम बनाने वाली कंपनी इमामी लिमिटेड को अपने भ्रामक दावों के चलते भारी जुर्माना झेलना पड़ा है। दिल्ली के एक उपभोक्ता ने दावा किया कि 79 रुपये में खरीदी गई क्रीम से उनके चेहरे का रंग गोरा नहीं हुआ। उपभोक्ता फोरम ने इस मामले में कंपनी पर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
क्या है मामला?
शिकायतकर्ता ने 2013 में इमामी की फेयर एंड हैंडसम क्रीम खरीदी थी। क्रीम के विज्ञापन में गारंटी दी गई थी कि नियमित उपयोग से त्वचा गोरी हो जाएगी। उपभोक्ता ने निर्देशानुसार क्रीम का इस्तेमाल किया, लेकिन वांछित परिणाम नहीं मिला। शिकायत पर मध्य दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सुनवाई की और कंपनी के दावों को भ्रामक मानते हुए 15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
कंपनी के दावे और फोरम का निष्कर्ष
कंपनी ने अपने बचाव में कहा कि उत्पाद का प्रभाव कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है, जैसे पौष्टिक आहार, व्यायाम और स्वच्छ आदतें। इसके अलावा, कंपनी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता निर्देशों के अनुसार क्रीम का उपयोग नहीं कर सका।
हालांकि, फोरम ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि उत्पाद की पैकेजिंग पर अतिरिक्त शर्तों का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। उत्पाद के लेबल पर लिखा गया था कि दिन में दो बार क्रीम लगाने से गोरापन मिलेगा, लेकिन परिणाम नहीं आया।
फोरम का फैसला
फोरम ने पाया कि कंपनी ने अधूरी और गुमराह करने वाली जानकारी के साथ उत्पाद बेचा। उन्होंने कहा कि “फेयर एंड हैंडसम” का प्रचार-प्रसार करते समय कंपनी को पता था कि सभी उपभोक्ताओं को वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे। यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करने का मामला है।
कंपनी को देना होगा 15 लाख का मुआवजा
फोरम ने आदेश दिया कि इमामी लिमिटेड 15 लाख रुपये जुर्माने के रूप में शिकायतकर्ता को अदा करे। यह जुर्माना भ्रामक विज्ञापन और उपभोक्ता को गुमराह करने के आरोप में लगाया गया है।
क्या कहता है यह मामला?
यह मामला न केवल उपभोक्ता अधिकारों की जीत है बल्कि यह भी दर्शाता है कि विज्ञापन और उत्पादों के दावों में पारदर्शिता की आवश्यकता है। यह अन्य कंपनियों के लिए भी चेतावनी है कि वे अपने उत्पादों के प्रभाव के बारे में भ्रामक दावे करने से बचें।
VIKAS TRIPATHI
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