महाराष्ट्र में जल्द ही स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा की संभावना के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दिसंबर तक राज्य की 29 नगर निगमों में चुनाव संपन्न होने की उम्मीद है, और इन सबमें सबसे अहम है बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) का चुनाव — जो देश की सबसे समृद्ध नगर निकायों में गिनी जाती है।
इस सियासी पृष्ठभूमि में नवनियुक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण की एक टिप्पणी ने मुंबई महापौर पद को लेकर बहस को हवा दी है। वहीं अब शिवसेना (शिंदे गुट) के वरिष्ठ नेता प्रताप सरनाईक ने इस मुद्दे पर ‘महागठबंधन फॉर्मूला’ प्रस्तुत करते हुए एक नया सियासी संकेत दे दिया है, जिससे अजित पवार गुट के लिए असहज स्थिति बनती नजर आ रही है।
प्रताप सरनाईक का फॉर्मूला क्या कहता है?
प्रताप सरनाईक के मुताबिक, चूंकि महाराष्ट्र में फिलहाल सरकार महागठबंधन की है (बीजेपी-शिंदे शिवसेना-अजित पवार एनसीपी), तो नगर निगमों में भी महापौर का चयन इसी आधार पर होना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट कहा:
“जिस पार्टी के पास नगरसेवकों की सर्वाधिक संख्या होगी, महापौर पद उसी को दिया जाना चाहिए। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को उपमहापौर और तीसरी पार्टी को स्थायी समिति अध्यक्ष का पद मिलना चाहिए। यही सही महागठबंधन संतुलन होगा।”
यह फॉर्मूला भले ही ‘सैद्धांतिक’ लगे, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ गहरे हैं। यह संकेत है कि अगर बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के पास बहुमत रहा, तो अजित पवार गुट को मुंबई जैसे महत्वपूर्ण नगर निगम में महापौर पद मिलना संभव नहीं होगा।
“आखिरी फैसला तीनों शीर्ष नेताओं का होगा”
सरनाईक ने हालांकि यह भी कहा कि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा संयुक्त रूप से लिया जाएगा। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी ने उन्हें “विशेष जिम्मेदारी” दी है, और वे 13 करोड़ जनता के प्रतिनिधि के नाते इसे पूरी ईमानदारी से निभाएंगे।
ड्रग्स माफिया पर तीखा हमला
सरनाईक ने अपने बयान में मीरा-भायंदर में ड्रग्स तस्करी के मामलों को लेकर स्थानीय पुलिस पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा:“यह शहर कोई प्रयोगशाला नहीं है। ड्रग माफिया यहां घुस चुका है, लेकिन पुलिस शिकायतों के बावजूद कार्रवाई करने से कतरा रही है। 58 बैग्स ड्रग्स सहित आरोपी पकड़े गए, फिर भी पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया – ये बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है।”
सियासी संकेत: एनसीपी (अजित गुट) को किनारे करने की शुरुआत?
BMC चुनाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं, सियासी शक्ति का केंद्र होता है। यहां किसी एक दल को महापौर पद सौंपना, पूरे शहर पर प्रभुत्व का प्रतीक होता है। सरनाईक का बयान संकेत देता है कि बीजेपी और शिंदे गुट अपने वोट बेस और नगरसेवकों की संख्या के बल पर महापौर पद को ‘स्वाभाविक अधिकार’ मान रहे हैं।
ऐसे में एनसीपी (अजित पवार गुट) के लिए चुनौती बढ़ सकती है — खासकर तब, जब शिंदे और फडणवीस की जुगलबंदी पहले से ही प्रभावशाली दिख रही है।
नजरें अब चुनावी समीकरणों पर टिकीं
मुंबई महानगरपालिका चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि महापौर पद किसके हिस्से में आता है। लेकिन सरनाईक के बयान से स्पष्ट है कि सीटों के आंकड़ों को लेकर अब से ही जोर आजमाइश शुरू हो गई है। महागठबंधन में भी अंदरखाने खींचतान बढ़ सकती है — और यह लड़ाई सिर्फ नगरसेवकों की गिनती की नहीं, बल्कि प्रभाव और नेतृत्व के वर्चस्व की लड़ाई बन सकती है।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways):
BMC में महापौर पद पर अब महागठबंधन के भीतर ही रस्साकशी।
प्रताप सरनाईक का फॉर्मूला: जिसे सबसे ज्यादा नगरसेवक, उसी को मेयर।
अजित पवार की पार्टी के लिए संकेत — शायद मुख्य पदों से दूर रहना पड़े।
ड्रग तस्करी पर सरनाईक का पुलिस पर सीधा निशाना — प्रशासनिक उदासीनता उजागर।