गुवाहाटी/शिलॉङ — असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्वा सरमा ने सिंगापुर में हुई गायक जुबीन गर्ग की संदिग्ध मौत की जांच में शामिल उन लोगों को स्पष्ट चेतावनी दी है जो घटना के समय उनके साथ नौका पर मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी वापसी “पूरी तरह से उन पर निर्भर” होगी, लेकिन अगर वे 6 अक्टूबर तक SIT (विशेष जांच टीम) की तफ्तीश में शामिल होने के लिए वापस नहीं आते हैं तो सरकार कठोर कदम उठाने को बाध्य होगी।
“उनकी वापसी पूरी तरह से उन्हीं पर निर्भर करेगी। असम सरकार उन्हें सिंगापुर से वापस नहीं ला सकती, पर हम उनके माता-पिता से बात कर सकते हैं ताकि वे उन्हें जांच के लिए लौटने के लिये मना सकें,”—मुख्यमंत्री हिमन्त बिस्वा सरमा।
क्या है आख़िरी समयसीमा और क्या कदम हो सकते हैं
सरमा ने स्पष्ट किया कि सिंगापुर में नौका पर मौजूद सभी व्यक्तियों के लिए 6 अक्टूबर को अंतिम समयसीमा पहले ही तय कर दी गई है। यदि वे निर्धारित दिन तक वापस नहीं लौटते तो सरकार को उन्हें लौटाने के लिए विशेष कानूनी व प्रशासनिक प्रक्रिया अपनानी पड़ सकती है — जिनमें विदेश कार्यालय, डिप्लोमैटिक चैनल, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम भी शामिल हो सकते हैं, हालांकि मुख्यमंत्री ने तकनीकी विवरणों का खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा: “अगर वे सोमवार तक वापस नहीं आते हैं, तो हमें कठोर कदम उठाने होंगे — हमें उन्हें एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से वापस लाना होगा।”
जांच का दायरा और आगे की प्रक्रियाएँ
मामले की प्राथमिक मान्यता है कि जुबीन गर्ग 19 सितंबर को सिंगापुर के पास तैराकी के दौरान डूबकर मरे; पर अब यह घटना संभावित विष आरोप (poisoning) से भी जोड़ी जा रही है।
मामले की तफ्तीश के लिए असम पुलिस की 9 सदस्यीय CID-SIT टीम और एक न्यायिक आयोग मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों संस्थाएं घटनास्थल, उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के बयानों की विस्तार से पड़ताल कर रही हैं।
अधिकारियों को एक प्रमुख फोरेंसिक/विसरा रिपोर्ट का इंतज़ार है, जिसकी रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक आने की संभावना जताई जा रही है — इसके आधार पर विस्तृत निष्कर्ष और आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
गवाहों से सहयोग का आग्रह और पब्लिक अपील
मुख्यमंत्री सरमा ने विदेशों में रहने वाले संदिग्ध गवाहों से सहयोग न मिलने से जांच में कठिनाइयों का हवाला देते हुए कहा कि बिना उनकी त्वरित और सत्यनिष्ठ हाजिरी के मामले को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा। उन्होंने असम के लोगों से अपील की कि जो भी सिंगापुर या अन्यत्र उनसे संबंधित जानकारी रखते हों, वे प्रशासन के साथ साझा करें ताकि मामले की सच्चाई सामने लाई जा सके।
सरमा ने साथ ही जनता को अपुष्ट (unverified) जानकारियों पर विश्वास न करने और आधिकारिक सूचनाओं का इंतजार करने की सलाह दी।
विवादास्पद बयानों का संदर्भ
जुबीन गर्ग के एक गवाह शेखर ज्योति गोस्वामी ने मामले में दो सहयोगियों पर अनुचित/गैरकानूनी हरकतों का आरोप लगाया है — इस आरोप से यह संकेत मिलता है कि सिंगापुर में हुई घटना केवल दुर्घटना नहीं बल्कि किसी प्रकार की गड़बड़ी या उससे जुड़ी परिस्थितियों का परिणाम भी हो सकती है। यह आरोप अभी जांच के चरण में हैं और अदालत/जांच एजेंसियाँ ही अंतिम रूप से तय करेंगी कि किनके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या होगा अगला कदम?
1.6 अक्टूबर के बाद यदि कोई गवाह भारत नहीं लौटता तो प्रशासन — आवश्यक परामर्श व क़ानूनी मार्ग अपनाकर — अंतरराष्ट्रीय सहायतापूर्ण प्रक्रियाएँ (डिप्लोमैटिक, न्यायिक सहयोग आदि) शुरू कर सकता है।
2.10 अक्टूबर की फोरेंसिक रिपोर्ट के परिणाम मिलने के साथ ही CID-SIT और न्यायिक आयोग संभावित आरोप-प्रत्यारोप और आपराधिक धाराओं के निर्धारण हेतु अगला प्लान पेश करेंगे।
3.सरकार ने नागरिकों से कहा है कि वे जांच को सहयोग दें व अफवाहों पर ध्यान न दें — साथ ही जिनके पास कोई अहम जानकारी हो वे तुरंत जांच अधिकारियों से संपर्क करें।














