मॉस्को/नई दिल्ली | भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल बुधवार को एक उच्चस्तरीय कूटनीतिक मिशन पर रूस पहुंचे हैं। इस दौरे में वे रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु से मुलाकात करेंगे, साथ ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी महत्वपूर्ण बातचीत प्रस्तावित है। यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के सफल क्रियान्वयन के बाद डोभाल की पहली मास्को यात्रा है, जिसे भारत-रूस रक्षा सहयोग के लिहाज से रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
सुरक्षा और रक्षा सहयोग होंगे मुख्य एजेंडे में
सूत्रों के अनुसार, भारत और रूस के बीच इस बातचीत के केंद्र में रक्षा, सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी जैसे विषय रहेंगे। विशेष रूप से S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम की शेष दो यूनिट्स की डिलीवरी, ऑपरेशन सिंदूर में इनकी भूमिका, और भविष्य के रक्षा सौदों पर चर्चा की संभावना है। इसके साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, मल्टी-पोलर विश्व व्यवस्था और चीन की बढ़ती आक्रामकता जैसे विषय भी एजेंडे में शामिल हैं।
SCO बैठक के बाद द्विपक्षीय वार्ता पर विशेष फोकस
गौरतलब है कि जून 2025 में अजित डोभाल ने बीजिंग में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की NSA बैठक में हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने रूस के उप सुरक्षा सचिव अलेक्ज़ेंडर वेनेडिक्टोव से मुलाकात की थी। हालांकि मॉस्को की यह यात्रा SCO जैसे बहुपक्षीय मंच के बजाय द्विपक्षीय रणनीतिक संवाद पर केंद्रित है।
पुतिन से उच्चस्तरीय मुलाकात, भारत यात्रा पर भी होगी चर्चा
रूसी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, NSA डोभाल राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ व्यक्तिगत मुलाकात करेंगे। इस बैठक में दोनों देश रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देने, नई रक्षा तकनीकों के आदान-प्रदान, और भविष्य की कूटनीतिक प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि डोभाल की यह यात्रा राष्ट्रपति पुतिन की संभावित भारत यात्रा के लिए ज़मीन तैयार करने की दिशा में भी एक अहम कदम है। वर्ष 2022 से यह यात्रा लंबित है।
भारत-अमेरिका संबंधों के तनाव के बीच यात्रा का बढ़ा महत्व
डोभाल की रूस यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक तनाव बढ़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीद पर नाराज़गी जताई है, जबकि पहले अमेरिका खुद इस व्यापारिक चैनल को स्थापित करने में सहयोग कर रहा था। ऐसे में उम्मीद है कि NSA डोभाल रूस के साथ बातचीत के दौरान अमेरिकी टैरिफ नीति, अधिकारवादी दबाव, और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के मुद्दों को भी संतुलित रूप से रखेंगे।
विदेश मंत्री जयशंकर की भी हो सकती है रूस यात्रा
सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की इस यात्रा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी अगले सप्ताह रूस का दौरा कर सकते हैं, जो दोनों देशों के बीच चल रही उच्चस्तरीय कूटनीतिक वार्ताओं की श्रृंखला का हिस्सा होगा।
NSA अजित डोभाल की मास्को यात्रा भारत की स्वतंत्र विदेश नीति, रक्षा साझेदारी की मजबूती और वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका को रेखांकित करती है। ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि, रूस-भारत संबंधों का परिपक्व स्वरूप और अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति इस दौरे को विशेष महत्व प्रदान करती है।