
मुंबई, 11 मार्च: समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को उस मामले में बड़ी राहत मिली है, जिसमें उन्होंने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की थी। मंगलवार को मुंबई की एक सत्र अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी, हालांकि इसके साथ कुछ शर्तें भी लागू की गईं। अदालत ने आजमी को ₹20,000 के मुचलके पर जमानत दी और उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला?
पिछले हफ्ते दक्षिण मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस थाने में अबू आजमी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 299 (धार्मिक भावनाओं का अपमान), 302 (जानबूझकर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह विवाद तब शुरू हुआ जब आजमी ने औरंगजेब के शासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके काल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और म्यांमार तक फैली थीं और देश की जीडीपी वैश्विक जीडीपी का 24% थी।
आजमी ने छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच संघर्ष को ‘राजनीतिक लड़ाई’ करार दिया था। उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा में कड़ी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद उन्हें 26 मार्च तक विधानसभा सत्र से निलंबित कर दिया गया था।
कोर्ट में क्या हुआ?
आजमी की ओर से उनके वकील मुबीन सोलकर ने दलील दी कि उनके बयान का उद्देश्य किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं था और एफआईआर में उनके खिलाफ कोई गंभीर अपराध साबित नहीं होता। कोर्ट ने इन तर्कों को सुनने के बाद उनकी अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली।
कोर्ट ने किन शर्तों के साथ दी जमानत?
- आजमी को ₹20,000 का सॉल्वेंट जमानत बांड भरना होगा।
- उन्हें 12, 13 और 15 मार्च को मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन जाकर जांच में सहयोग करना होगा।
- किसी भी तरह से गवाहों या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करनी होगी।
विवाद पर राजनीति तेज
आजमी के बयान को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है। भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) ने इसे छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज का अपमान बताया है, जबकि समाजवादी पार्टी इसे ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई करार दे रही है।
अब देखना होगा कि इस विवाद का राजनीतिक असर कितना व्यापक होता है और क्या आजमी के इस बयान से आगामी चुनावों में कोई नया मुद्दा उभरता है।