Monday, December 15, 2025
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यूपी बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी—अब बस कुछ घंटों का खेल, राजनीति के स्टेज पर बढ़ रहा है वॉल्यूम!

किस्सा वही, बीते महीनों की खामोशी अब टूटने वाली है — यूपी बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष 14 दिसंबर 2025 को चुना जाएगा। उससे पहले 13 दिसंबर को नामांकन दाखिल और उसी दिन नामांकन की स्क्रूटिनी व वापसी की प्रक्रिया पूरी होगी — ये टाइम-टेबल पार्टी ने आधिकारिक तौर पर घोषित कर दिया है।


टाइम-टेबल और संगठन व्यवस्था (क्लैप बीच में!)

13 दिसंबर (दोपहर 2 बजे तक) — नामांकन दाखिल करने, स्क्रूटनी और नामांकन वापसी की औपचारिकताएं।

14 दिसंबर — नई कमान का ऐलान/मतदान (यदि एक से अधिक नामांकन होते हैं तो मतदान होगा)।

पार्टी ने प्रांतीय परिषद के सदस्यों की लिस्ट जारी कर दी है और चुनावी मशीनरी पूरी तरह ट्रांस-ऑन है — केंद्रीय नेतृत्व से Piyush Goyal को चुनाव का प्रभारी बनाया गया है जबकि विनोद तावड़े केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे; राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भी लखनऊ में मौजूद हैं।


कौन डालेगा वोट? — हिसाब किताब साफ

चुनाव में कुल 464 वोटर शामिल होंगे — इनमें 5 सांसद, 26 विधायक, 8 MLC और लगभग 425 प्रांतीय परिषद सदस्य (साथ में जिलाध्यक्ष भी शामिल) हैं। यह संगठनात्मक गणित तय करेगा कि किस नाम पर लगभग सर्वसम्मति बनती दिखेगी।


रेस में कौन-कौन (स्टेज पर दिग्गज — और क्यों)

राजनीति के पॉलिटिकल कॉरिडोर में कई नाम तेज़ी से गुज़र रहे हैं — यहाँ प्रमुख दावेदार और उनकी ताकत-कमजोरी का रॉक-नोट्स में विश्लेषण दिया जा रहा है:

1)बीएल वर्मा

पृष्ठभूमि: ओबीसी (लोधी) समुदाय, संगठन-अनुभव और केंद्र से जुड़ाव।

ताकत: पश्चिम यूपी में लोधी वोट बैंक को जोड़ने की संभावना; संगठन मेंakse-कनेक्ट.

कमजोरी/चुनौती: पूरे प्रदेश में संतुलन बनाए रखना होगा।
(समाचार में उनका नाम सबसे आगे बताया जा रहा है)।

2)पंकज चौधरी

पृष्ठभूमि: केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त), कुर्मी ओबीसी, महाराजगंज से कई बार सांसद।

ताकत: पूर्वांचल में जमीन-असर, पीएम से नजदीकी का लाभ।

कमजोरी: संगठन-लेवल के गहरे नेटवर्क की तुलना में स्थानीक लोकप्रियता ज़्यादा।

3)साध्वी निरंजन ज्योति

पृष्ठभूमि: महिला ओबीसी नेता (निषाद/मल्लाह समुदाय)।

ताकत: महिलादेखो + जातीय समीकरण का मेल; कोई बड़े गुट से स्पष्ट रूप से नहीं जोड़ी दिखाई देतीं — इसलिए ‘सौदे की नाक’ बन सकती हैं।

कमजोरी: संगठन-रूढ़ी में लंबा समय लग सकता है।

4)स्वतंत्र देव सिंह

पृष्ठभूमि: पूर्व संगठन नेता, वर्तमान में जल शक्ति मंत्री; संघ-जुड़ाव।

ताकत: संगठन और संघ दोनों में अनुभव।

चुनौती: व्यापक सामाजिक समीकरण में तालमेल बनाने की ज़रूरत।

5)धर्मपाल सिंह, दिनेश शर्मा, अमरपाल मौर्य (और अन्य)

धर्मपाल: बड़े OBC चेहरे, संगठन-अनुभव।

दिनेश शर्मा: पूर्व डिप्टी सीएम — सरकार और संगठन दोनों की समझ।

अमरपाल मौर्य: संगठन में लंबा अनुभव, राज्यसभा सांसद।
इन नामों की चर्चा भी लगातार हो रही है और केंद्रीय नेतृत्व के पास विकल्पों का पूरा तख्ता मौजूद है।


राजनीतिक मायने — क्यों अहम है यह चुनाव? (लाउड गिटार रिफ के साथ)

यह सिर्फ अध्यक्ष का चेहरा नहीं, बल्कि अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा की रणनीति का प्रैक्टिकल-वर्कआउट है। संगठनात्मक बड़े फैसले, मंडल-मंडल की जवाबदेही और क्षेत्रीय समीकरण इसी चुनाव से जुड़े होंगे।

बीजेपी की परंपरा में अक्सर सर्वसम्मति से फैसला निकलता है — यानी जो नेतृत्व तय करेगा, वही उम्मीद के मुताबिक अधिकांश नामांकन से बाहर रह सकता है; पर अगर एक से अधिक दावे खड़े हुए तो 14 तारीख़ को वोटिंग कराई जाएगी।


कौन क्या चाहता है — केंद्रीय तस्वीर और मैदान की हक़ीक़त

केंद्रीय नेतृत्व (मोदी-शक्ति): संगठनिक मजबूती, caste-balance और चुनावी तैयारी — तीनों चाहिए। इसलिए ओबीसी चेहरे पर झुकाव देखकर यह कहा जा रहा है कि सोशल इंजीनियरिंग और वोट-बैंक मैनेजमेंट मायने रखेगा।

राज्य संगठन/मुख्यमंत्री का हिसाब: स्थानीय कार्यकुशलता, संगठनिक अनुशासन और शासन-संगठन तालमेल जरूरी — इसलिए ऐसा चेहरा चुना जाएगा जो पार्टी और सरकार दोनों के बीच समन्वय कर सके।


जनता क्या कहती है? (सड़कों की आवाज़)

गली-मोहल्ले और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच एक सख्त लेकिन साफ-साफ सन्देश भी सुनाई दे रहा है:

“होइए वही जो मोदी और योगी चाहें।”
यह लाइन दिखाती है कि कई हालिया चर्चाओं में केंद्र व राज्य नेतृत्व की सहमति को जनता/कार्यकर्ता निर्णायक मान रहे हैं — यानी ‘सर्वोच्च मंज़ूर‘ पर फाइनल मुहर का इम्पैक्ट ज़ोरदार होगा।


क्या होने की संभावना है? (रॉकर-ट्रैक फिनाले)

एक नामांकन — सर्वसम्मति मॉडल: सबसे संभाव्य — अगर नामों का प्री-फिल्टरिंग/राष्ट्र-स्तरीय सहमति समय रहते बनती है, तो औपचारिक रूप से सिर्फ एक नाम सामने आएगा और चुनाव एक रस्म बनकर रह जाएगा।

कई नामांकन — वोटिंग फाइट: यदि स्थानीय गुट/अंचल के दबाव से दो से अधिक दावेदार मैदान में उतरते हैं तो 14 दिसंबर को असली इलेक्शन होगा और 464 वोटर निर्णायक बनेंगे।


अंतिम थ्रश-आउट (संक्षेप में, पर जोरदार)

टाइम-टेबल: नामांकन 13 दिसंबर, फाइनल मोमेंट/घोषणा/मतदान 14 दिसंबर।

मतदाता गणना: कुल 464 वोटर — सांसद, विधायक, MLC, प्रांतीय परिषद सदस्य और जिलाध्यक्ष।

केंद्रीय व स्थानीय नाम: Piyush Goyal (प्रभारी), Vinod Tawde (पर्यवेक्षक), BL Santosh और अन्य वरिष्ठ मौजूद; बीएल वर्मा, पंकज चौधरी, साध्वी निरंजन ज्योति, स्वतंत्र देव और अन्य चर्चा में।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
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