Friday, December 5, 2025
Your Dream Technologies
HomeNationalसुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: “मंदिर का धन भगवान का है —...

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: “मंदिर का धन भगवान का है — इसे बैंकों की जीविका नहीं बनाया जा सकता”

नई दिल्ली — सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने शुक्रवार को केरल के कुछ सहकारी बैंकों तथा हाई कोर्ट के निर्देश से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान साफ कहा कि मंदिर का धन मंदिर और उसके आराध्य का है, और इसे केवल मंदिर के हितों की रक्षा, संरक्षण और उपयुक्त उपयोग के लिए ही रखा जाना चाहिए — न कि किसी सहकारी बैंक की आय या जीविका का स्रोत बनाने के लिए। इस टिप्पणी की अगुवाई चीफ जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने की।

सुनवाई का सार
सुप्रीम कोर्ट ने पूछ-ताछ की कि क्या मंदिरों के जमा धन का उपयोग संकटग्रस्त सहकारी बैंकों को बचाने के लिए किया जा सकता है और क्या यह ठीक नहीं होगा कि ऐसे देवस्वोमों की रकम किसी आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करवाई जाए ताकि उन्हें अधिकतम ब्याज और सुरक्षा मिल सके। पीठ ने यह भी कहा कि मंदिरों के देय धन को बैंकिंग संस्थाओं की समस्याओं के समाधान के लिए खतरे में नहीं डाला जा सकता।

मामले का परिप्रेक्ष्य
मनंतावड़ी को-ऑपरेटिव अर्बन सोसाइटी लिमिटेड और थिरुनेल्ली सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने केरल हाई कोर्ट के उस निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें पांच सहकारी बैंकों से कहा गया था कि वे देवस्वोम (मंदिर) की सावधि जमा राशि बंद करके दो महीने के भीतर पूरी राशि लौटाएँ। हाई कोर्ट ने यह निर्देश इसलिए दिया था क्योंकि अदालत के अनुसार बैंकों ने परिपक्व जमा राशि लौटाने/प्रमाणपत्र जारी करने से बार-बार इन्कार किया था।

बैंकों की दलील पर पीठ की प्रतिक्रिया
बैंकों ने कहा कि हाई कोर्ट के अचानक आदेशों से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट असहमति जताई और कहा कि बैंकों की प्राथमिक जिम्मेदारी ग्राहकों के बीच अपनी विश्वसनीयता बनाए रखना है। यदि सहकारी बैंक ग्राहकों से जमा आकर्षित करने में सक्षम नहीं हैं तो वह उनकी अपनी विफलता है — मंदिरों के धन का दुरुपयोग इसका समाधान नहीं हो सकता।

न्यायालय का रुख और निहितार्थ
पीठ ने केरल हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया और साथ ही यह स्पष्ट किया कि देवस्वोम की संपत्ति केवल मंदिर के हितों के लिए संरक्षित रहनी चाहिए। अदालत की यह टिप्पणी सहकारी बैंकों के लिए चेतावनी के समान है कि उन्हें मंदिरों या किसी धार्मिक संस्थान के धन को अपनी परिचालन समस्या के रूप में इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए। वहीं मंदिर-प्रबंधनों की ओर से यह मांग भी सामने आई थी कि राशि को अधिक सुरक्षित और ब्याज-प्रद राष्ट्रीयकृत बैंकों में स्थानांतरित किया जाए — जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे कि यह विकल्प क्यों न अनुमति दी जाए।

अगला चरण
सुनवाई के दौरान पीठ ने मौलिक सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए; मामले पर आगे की कार्यवाही का विवरण न्यायालय के अगले आदेश में स्पष्ट होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से केरल के देवस्वोम, सहकारी बैंकों और उन श्रद्धालुओं/जनसमूहों के हितों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है जो मंदिर निधियों की सुरक्षा और पारदर्शिता की अपेक्षा रखते हैं।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button