नई दिल्ली — 30 नवंबर 2025: प्रसिद्ध शिक्षक और इस साल आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर पटपड़गंज विधानसभा से चुनाव लड़ने वाले अवध ओझा ने सार्वजनिक रूप से राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। साथ ही उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी है। यह निर्णय उन्होंने हालिया एक पॉडकास्ट में खुलकर साझा किया।
पॉडकास्ट में ओझा ने कहा कि चुनाव में हिस्सा लेने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि राजनीति उनके लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने बताया, “चुनाव लड़ने के बाद मुझे यह समझ आया कि मैं इसके लिए बनाए ही नहीं गए। बचपन से राजनीति का सपना था और चुनाव लड़ने की उत्कंठा भी थी — मैंने चुनाव लड़ा और पटपड़गंज की जनता ने जो सम्मान दिया, उसके लिए मैं आभारी हूँ। फिर भी मेरे अंदर जो महसूस हुआ वह यही था कि मुझे राजनीति नहीं करनी चाहिए।”
ओझा ने आगे कहा कि पार्टी लाइन की बाधाओं के कारण उन्हें अपनी राय अब तक खुलकर नहीं रख पाने का अनुभव हुआ। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अब राजनीति नहीं करूँगा और इससे संन्यास लेकर मैं बहुत खुश हूँ। पहले फोन आकर कहा जाता था कि यह नहीं बोल सकते, वह नहीं बोल सकते — अब जो दिल करेगा वही बोलूँगा, कोई मना करने वाला नहीं है।”
इस साल पटपड़गंज से चुनाव लड़ते हुए ओझा को करारी हार का सामना करना पड़ा; वे दूसरे स्थान पर रहे। पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि हार के बाद मिली सीख ने भी उनके फैसले को प्रभावित किया। ओझा ने यह भी बताया कि पटपड़गंज के मतदाताओं के सम्मान को वे महत्व देते हैं और भविष्य में वे अपने शैक्षिक व सार्वजनिक मंचों के माध्यम से सक्रिय रहना पसंद करेंगे — लेकिन अब गैरराजनीतिक रूप से।
अवध ओझा का राजनीतिक परिदृश्य में प्रवेश और अचानक संन्यास उनकी समर्थक-परिवार और राजनीति के जानकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी तक AAP की ओर से उनके निर्णय पर कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है।
संक्षेप में: पटपड़गंज से चुनाव लड़ा, हार का सामना किया, और अब — पार्टी छोड़कर — राजनीतिक जीवन को अलविदा कह दिया; ओझा ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और खुलकर बोलने को अपनी प्राथमिकता बताया।














