तरनतारन उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदवार रहीं प्रिंसिपल सुखविंदर कौर रंधावा की बेटी कंचनप्रीत कौर की गिरफ्तारी पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा हस्तक्षेप किया है। कोर्ट ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कंचनप्रीत को पंजाब पुलिस की कस्टडी से लेकर तरनतारन अदालत की निगरानी में रखने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक उनके वकील अदालत में मौजूद नहीं होते, तब तक कंचनप्रीत को रिमांड के लिए प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब आरोपी खुद जांच में शामिल हो रही थी तो उसकी गिरफ्तारी की जरूरत क्यों पड़ी? कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है।
इसके बाद पंजाब पुलिस कंचनप्रीत को हाईकोर्ट के आदेशानुसार तरनतारन की अदालत में लेकर पहुंची।
मामले की अगली सुनवाई आज रात 8 बजे होगी, जिसकी पैरवी अधिवक्ता अर्शदीप कलेर और दमनप्रीत सोबती करेंगे।
चार केस दर्ज, अकाली दल ने बताया राजनीतिक साजिश
कंचनप्रीत कौर पर पंजाब पुलिस ने चार अलग-अलग केस दर्ज किए हैं, जिन पर शिरोमणि अकाली दल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इन्हें राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया है।
यह पूरा विवाद तरनतारन विधानसभा उपचुनाव के दौरान शुरू हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी।
अकाली दल और समर्थकों की राजनीतिक प्रतिक्रिया
कंचनप्रीत की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक तापमान बढ़ गया है।
अकाली दल ने हाई कोर्ट के आदेश को राहत बताते हुए कहा कि गिरफ्तारी कोर्ट की पहले से जारी सुरक्षा निर्देशों का उल्लंघन है।
वल्टोहा का आरोप – अदालत में ‘नकली कंचनप्रीत’ पेश
पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोहा ने सनसनीखेज आरोप लगाया है कि पुलिस ने अदालत में कंचनप्रीत की जगह किसी अन्य लड़की को चेहरा ढककर पेश किया। उनका दावा है कि असली कंचनप्रीत को कोर्ट परिसर में पीछे के गेट से ले जाया गया।
वल्टोहा ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के तहत विपक्ष के परिवारों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा:
“पंजाब की संस्कृति में विरोधियों की बहू-बेटियों का सम्मान होता है। लेकिन सरकार राजनीतिक बदले की भावना में उन्हें भी निशाना बना रही है।”
आगे क्या?
अदालत ने कंचनप्रीत को निर्देशों के साथ गिरफ्तारी में राहत दी है और कहा है कि किसी भी नए मामले में उन्हें गिरफ्तार करने से पहले 7 दिन की पूर्व सूचना देना अनिवार्य होगा।
अब इस मामले के कानूनी और राजनीतिक पहलू अगले चरण में प्रवेश कर चुके हैं, और रात की सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।














