महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। नवी मुंबई में CIDCO की जमीन के कथित 4500 करोड़ रुपये के घोटाले ने सत्ता से लेकर विपक्ष तक हलचल मचा दी है। आरोपों की सीधी आंच सामाजिक न्याय मंत्री और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेहद करीबी संजय शिरसाट तक पहुंचने के बाद अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाई-लेवल कमेटी गठित करने का आदेश जारी किया है। राजनीतिक गलियारों में इसे दिसंबर में शुरू होने वाले नागपुर के शीतकालीन सत्र से पहले की बड़ी रणनीतिक चाल माना जा रहा है।
आरोप क्या हैं?
एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार का आरोप है कि संजय शिरसाट ने CIDCO के चेयरमैन रहते हुए करीब 61,000 वर्गमीटर प्राइम जमीन अवैध तरीके से आवंटित कर दी। जिस जमीन की मार्केट वैल्यू लगभग 4500 करोड़ रुपये बताई जा रही है, वह यशवंत बिवलकर परिवार को दी गई।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
जिस जमीन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी थी, वह इतने बड़े स्तर पर कैसे आवंटित हुई?
पहले जिन फाइलों को कई बार रिजेक्ट किया गया, उन्हें मंजूरी कैसे मिली?
किस दबाव में और किसके इशारे पर यह निर्णय लिया गया?
सरकार की जांच समिति पर विपक्ष के सवाल
सरकार ने छह सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई है, लेकिन इसी कमेटी पर विपक्ष प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।
रोहित पवार का आरोप है:“जो अधिकारी पहले CIDCO को जमीन देने की सिफारिश कर रहे थे, वही आज जांच समिति में सचिव के रूप में बैठे हैं। यानी जांच वही करेगा जो खुद फैसले में शामिल था — यह तो ऐसा हुआ जैसे चोर को ही चौकीदार बना दिया गया हो।”
एनसीपी नेता की मांग है कि जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में हो और मंत्री संजय शिरसाट को तत्काल पद से हटाया जाए ताकि जांच प्रभावित न हो।
सत्ता पक्ष में बेचैनी, विपक्ष का पलटवार तेज
जहां शिंदे गुट इसे “सामान्य आरोप” बताकर समय से पहले निष्कर्ष न निकालने की बात कह रहा है, वहीं विपक्ष इसे सबसे बड़ा जमीन घोटाला करार दे रहा है।
यूबीटी शिवसेना के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा:“बीजेपी वही कर रही है जो उसने सहयोगियों के साथ हमेशा किया—पहले इस्तेमाल करो और बाद में खत्म कर दो।”
उद्धव ठाकरे ने भी हमला बोलते हुए कहा:“यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि सत्ता के तीन धड़ों — बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और NCP(SP) — के बीच शक्ति संतुलन की लड़ाई है। किसके खिलाफ कभी कार्रवाई हुई? सब दिखावे के लिए है।”
राजनीतिक संकेत साफ — आने वाला सत्र तूफानी
फडणवीस ने जांच समिति बनाकर राजनीतिक तरीके से बढ़त बनाने की कोशिश की है, लेकिन दबाव सीधे शिंदे गुट पर है।
सत्र से पहले यह कदम बताता है कि सत्ता गठबंधन के भीतर भी समीकरण बदल रहे हैं।
बीजेपी के कई नेताओं ने बयान दिया है कि:
“मामला जब सदन में आएगा, तब जवाब दिया जाएगा।”
अब आगे क्या?
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क्या संजय शिरसाट से इस्तीफा लिया जाएगा?
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क्या जांच न्यायालयीन निगरानी में होगी?
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क्या यह घोटाला महाराष्ट्र सरकार में सत्ता समीकरण बदलेगा?
इन सवालों पर अब सबकी नजरें जमी हैं।
निष्कर्ष:
CIDCO जमीन आवंटन का यह कथित घोटाला अब सिर्फ कानूनी मामला नहीं रह गया—यह प्रदेश की राजनीति में शक्ति, दबाव और अस्तित्व की जंग बन चुका है। आने वाले हफ्तों में यह मामला महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास के सबसे बड़े टकरावों में बदल सकता है।














