Friday, November 28, 2025
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हिडमा की मौत के बाद बड़ा बदलाव: तीन दिनों में 84 माओवादी सरेंडर, कई बड़े इनाम वाले शामिल

आंध्र प्रदेश में प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (माओवादी) को बड़ा झटका लगा है। संगठन के कुख्यात मिलिट्री कमांडर माड़वी हिडमा के 8 नवंबर को मारे जाने के बाद माओवादी कैडर तेज़ी से आत्मसमर्पण कर रहे हैं। इसी क्रम में सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जिलों में कुल 84 माओवादियों ने हथियार डाल दिए, जिन पर कुल 2.56 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।

सबसे बड़ा आत्मसमर्पण बीजापुर जिले में देखने को मिला, जहां 41 माओवादियों — जिन पर कुल 1.19 करोड़ रुपये का इनाम था — ने सरेंडर किया। इनमें से 5 कैडर पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की कुख्यात बटालियन-1 से जुड़े थे। यही बटालियन कभी दक्षिण बस्तर में माओवादियों की सबसे मजबूत सैन्य इकाई मानी जाती थी, जिसने 155 सुरक्षा बलों की हत्या में भूमिका निभाई थी।

पहले हथियार नहीं लाने का नियम, अब ट्रेंड बदल रहा

दक्षिण बस्तर में अभी भी सक्रिय माओवादी गुटों के खतरे को देखते हुए बीजापुर में सरेंडर करने वालों को अपने हथियार लेना की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, इसके एक दिन बाद नारायणपुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में 28 माओवादियों ने तीन हथियारों—एक SLR, एक INSAS और एक .303 राइफल—के साथ आत्मसमर्पण किया।

इसी तरह सोमवार को सुकमा जिले में 15 माओवादियों, जिनमें बटालियन-1 के चार सदस्य शामिल थे, ने बिना हथियारों के सरेंडर किया।

अक्टूबर 2025 के बाद सरेंडर पैटर्न में बड़ा बदलाव

बस्तर पुलिस के अनुसार यह विकास पहले के ट्रेंड से बिल्कुल अलग है। अक्टूबर 2025 से अब तक 1,460 माओवादी हथियारबंद गतिविधि छोड़ चुके हैं, जिनमें से कई ने AK-47, INSAS, SLR और LMG समेत कुल 171 ग्रेडेड हथियार पुलिस को सौंपे हैं।

“माओवादी विचारधारा अब कमजोर” — पुलिस का दावा

बस्तर रेंज के पुलिस इंस्पेक्टर जनरल सुंदरराज पी ने कहा:“पिछले तीन दिनों में 84 माओवादी मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। बीजापुर का सामूहिक आत्मसमर्पण इस बात का संकेत है कि माओवादियों की हिंसक और जनविरोधी विचारधारा अब समाप्त होने की कगार पर है।”

उन्होंने आगे कहा कि पुलिस प्रशासन पूर्व नक्सलियों को पुनर्वास, सुरक्षा और मुख्यधारा में सम्मानजनक जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है।“हम उम्मीद करते हैं कि बाकी माओवादी—चाहे वे पोलित ब्यूरो या केंद्रीय समिति के सदस्य हों—बिना देर किए शांति और लोकतंत्र की राह चुनेंगे।”

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VIKAS TRIPATHI
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