अयोध्या, 25 नवंबर 2025 — भारत फिर एक पवित्र क्षण का साक्षी बनने को तैयार है। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर धर्म ध्वजारोहण (फ्लैग-होस्टिंग) का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसे मंदिर ट्रस्ट और राज्य सरकार द्वारा ऊँची धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व की घटना के रूप में पेश किया गया है।
समारोह का महत्व और उद्देश्य
यह आयोजन राम मंदिर के पूरे निर्माण की औपचारिक “पूर्णता” (समाप्ति) का प्रतीक माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य ध्वजारोहक हैं।
वे राम मंदिर के मुख्य शिखर (स्पायर) पर भगवा झंडा फहराएंगे, जो न केवल धार्मिक प्रतीक है बल्कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान का एक बलवान संदेश भी है।
इस झंडे में सूर्य, ओम और कोविदर वृक्ष जैसे प्रतीक अंकित हैं, जो वाल्मीकि रामायण की

कहानियों से जुड़ी नैतिक और आध्यात्मिक ताकतों को दर्शाते हैं।
झंडा बहुत बड़ा है: लगभग 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा, और इसे 42-फुट लंबे पोल पर लगाया जाएगा, जो मंदिर के शिखर की ऊँचाई के अनुरूप है।
झंडे का डिज़ाइन और सामग्री इसे उच्च हवा की गति और मौसम की मार सहने के लिए तैयार किया गया है — पोल एक 360-डिग्री घूमने वाले चेंबर पर आधारित है, जिससे झंडा तेज हवाओं में भी सुरक्षित रहे।
आयोजन और समारोह की रूपरेखा
तीन दिवसीय उत्सव चल रहा है — 23 नवंबर से शुरू होकर 25 नवंबर तक।
सिर्फ राम मंदिर ही नहीं, पूरे परिसर में अलग-अलग मंदिरों (जैसे महादेव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शेषावतार) के शिखरों पर झंडे फहराए जाएंगे।
लगभग 108 आचार्य (पंडित / धर्मगुरु) काशी, अयोध्या और दक्षिण भारत से आए हैं, ये सभी पूजा-हवन और सामूहिक अनुष्ठानों में भाग लेंगे।
झंडारोहण समारोह में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है: अयोध्या में उच्च-स्तरीय सुरक्षा ज़ोन बनाया गया है और एक मल्टी-लेयर सिक्योरिटी ग्रिड तैनात किया गया है।

यातायात और पार्किंग की समस्या को देखते हुए GPS-आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। मेहमानों को WhatsApp पर पार्किंग निर्देश और स्थान भेजे गए हैं।
कार्यक्रम को पूरे शहर (और उससे बाहर) तक पहुँचाने के लिए 50+ LED स्क्रीन शहर के विभिन्न हिस्सों और ब्लॉकों में लगाई गई हैं, ताकि जो लोग मंदिर परिसर में नहीं पहुंच सकें, वे भी लाइव दर्शन कर सकें।
प्रतीकात्मक और धार्मिक मायने
यह ध्वजारोहण न केवल मंदिर के भौतिक निर्माण का समापन है, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक रूप से राम के आदर्शों — त्याग, धर्म, साहस — की पूर्णता और प्रचार का प्रतिरूप माना जा रहा है।
झंडा और समारोह, अयोध्या को आस्था और राष्ट्रीयता के केंद्र के रूप में और अधिक सबल रूप से स्थापित करने का संदेश देते हैं।
यह आयोजन विवाह पंचमी (राम और सीता के विवाह की पारंपरिक तिथि) के दिन हो रहा है, जिससे यह धार्मिक इतिहास और पौराणिक कथा दोनों के अनुषंग में गहराई से जुड़ा हुआ है।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
इस बड़े आयोजन की तैयारियों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सक्रिय किया है: पर्यटन, तीर्थयात्रा, होटलों, आतिथ्य और स्थानीय कारीगरों को फायदा हो रहा है।
लाखों लोगों की आस्था और राष्ट्रीय भावनाओं को जोड़ने वाला यह क्षण, अयोध्या को फिर एक केंद्र बनाता है — न केवल धार्मिक यात्राओं के लिए, बल्कि सांस्कृतिक पहचान के लिए भी।
निवेदन और संदेश
यह ध्वजारोहण समारोह पूरे देश के लिए एकता, श्रद्धा और गौरव का प्रतीक होगा।
प्रधानमंत्री झंडा फहराकर देश को यह संदेश देना चाह रहे हैं कि राम मंदिर अब सिर्फ एक निर्माण नहीं है — यह एक जीवित आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है।
अयोध्यावासी इस पल को न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से देख रहे हैं, बल्कि यह उन्हें गौरव और पहचान की अनुभूति देने वाला घटना है।














