सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के आरोपी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार कर ली है और 2011 में दी गई दोषसिद्धि को रद्द करते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। इससे कोली के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।
बेंच और आदेश — सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ — मुख्य न्यायाधीश जी. भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ — ने फरवरी 2011 के पुनर्विचार निर्णय को पलटते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें कोली को 12 मामलों में बरी किया गया था। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को आरोपों से बरी किया जाता है और सजा रद्द की जाए — अतः उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के तथ्यों का संक्षिप्त उल्लेख — सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 2011 में हुई दोषसिद्धि मुख्यतः एक गवाह के बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी पर आधारित थी। अन्य मामलों में पहले से ही बरी होने के कारण यह एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिसे देखते हुए अदालत ने पुनर्विचार किया और दोषसिद्धि को खारिज कर दिया।
मामले का पृष्ठभूमि — निठारी हत्याकांड 2005–2006 के बीच घटित हुआ था। यह मामला तब सार्वजनिक हुआ जब दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी गांव के पास एक घर के पास नाले में कंकाल मिले। जांच में सामने आया कि मोनिंदर सिंह पंढेर उस घर के मालिक थे और सुरेंद्र कोली उनके घरेलू नौकर थे। कोली पर आरोप था कि उन्होंने 2011 में एक 15 वर्षीय नाबालिग (रिम्पा हलदर) की हत्या की थी, जिसके चलते उन्हें उसी मामले में दोषी माना गया था जबकि अन्य मामलों में उन्हें पहले ही बरी किया जा चुका था।
न्यायिक क्रम और अब आगे क्या — इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले कोली को 12 मामलों में बरी किया था; उसके बाद कोली ने उच्चतम न्यायालय में क्यूरेटिव याचिका दायर की थी, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संबंधित जेल निकासी प्रक्रियाओं और रिहाई के तकनीकी उपायों पर कार्यवाही होगी।














