गौतमबुद्ध नगर की जिलाधिकारी मेधा रूपम ने प्रशासनिक सख्ती का ऐतिहासिक उदाहरण पेश किया है। विधानसभा निर्वाचन कार्यों में गंभीर लापरवाही बरतने पर उन्होंने 143 कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह अब तक की सबसे बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई मानी जा रही है, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मचा दिया है।
समीक्षा बैठक में उजागर हुई बड़ी लापरवाही
जिलाधिकारी मेधा रूपम ने हाल ही में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण-2026 की समीक्षा बैठक की।
इस कार्यक्रम के तहत 1 जनवरी 2026 को संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित की जानी है, जिसके लिए 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक घर-घर गणना प्रपत्रों का वितरण और संकलन कार्य किया जा रहा है।
समीक्षा में यह सामने आया कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में बीएलओ और सुपरवाइजरों ने तहसील से गणना प्रपत्र समय पर प्राप्त नहीं किए, और कई जगह कार्य प्रारंभ तक नहीं हुआ। डीएम ने इसे “घोर लापरवाही और निर्वाचन आचार संहिता का उल्लंघन” मानते हुए सख्त कार्रवाई का आदेश दिया।
130 बीएलओ और 13 सुपरवाइजरों पर एफआईआर
डीएम मेधा रूपम ने निर्देश दिए कि निर्वाचन कार्यों में लापरवाही के दोषी 130 बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और 13 सुपरवाइजरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
साथ ही, इन सभी कर्मचारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का भी आदेश दिया गया है।
इसके अलावा, 3 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और 12 सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी पर भी कार्रवाई की गई है। इन अधिकारियों का वेतन रोकते हुए डीएम ने चेतावनी दी कि भविष्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
डीएम मेधा रूपम का सख्त संदेश — “लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस”
डीएम ने कहा,
“निर्वाचन कार्य सरकार और लोकतंत्र की रीढ़ है।
जो भी कर्मचारी या अधिकारी इसमें ढिलाई करेगा, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची की सटीकता लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव है। यदि इसमें लापरवाही होती है, तो चुनाव की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। इसलिए प्रशासन की ओर से अब ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ अपनाई जाएगी।
निर्वाचन पुनरीक्षण की प्रक्रिया और जिम्मेदारी
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी विशेष पुनरीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक बीएलओ को अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित करने, नए मतदाता जोड़ने और संशोधन कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
तहसील स्तर पर रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और सहायक अधिकारी को प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है।
लेकिन कई क्षेत्रों में रिपोर्टिंग व प्रपत्र वितरण का कार्य बेहद धीमा पाया गया।
डीएम ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों ने न केवल प्रशासनिक मर्यादा का उल्लंघन किया, बल्कि जिले की छवि को भी धूमिल किया है।
फोरेंसिक और निगरानी सेल करेगी गहन जांच
डीएम मेधा रूपम ने निर्देश दिया है कि निरीक्षण टीम और फोरेंसिक सेल पूरे मामले की जांच कर यह पता लगाए कि किन कर्मचारियों ने कार्य में देरी की, और क्यों।
सात दिनों में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
साथ ही, सभी उप जिलाधिकारियों (SDM) को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक दिन निर्वाचन कार्यों की प्रगति की स्वयं निगरानी करें और शाम तक रिपोर्ट जिला मुख्यालय को भेजें।
प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कंप
डीएम की इस सख्त कार्रवाई के बाद जिले के सरकारी कार्यालयों में अफरा-तफरी मच गई है।
कई विभागों के अधिकारी अब अपने रिकॉर्ड दुरुस्त करने और रिपोर्ट अपडेट करने में जुट गए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि डीएम की यह सख्ती अब अनुशासन और जवाबदेही की नई मिसाल बनेगी।
विशेषज्ञों की राय — “बढ़ेगी जवाबदेही, सुधरेगा सिस्टम”
प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि सुधारात्मक कदम भी है।
इससे सरकारी कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना मजबूत होगी और भविष्य में निर्वाचन कार्यों की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार आएगा।
डीएम मेधा रूपम ने पेश किया “अनुशासन मॉडल”
डीएम मेधा रूपम की पहल ने एक स्पष्ट संदेश दिया है —
“सरकारी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही की कोई जगह नहीं।”
उनकी सख्ती ने गौतमबुद्ध नगर प्रशासन में एक नया अनुशासन मॉडल स्थापित किया है, जो पारदर्शिता, समयबद्धता और जवाबदेही का प्रतीक बनेगा।














