Monday, October 13, 2025
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मुस्लिम आबादी पर अमित शाह के बयान से सियासी संग्राम तेज, कांग्रेस ने लगाया ध्रुवीकरण का आरोप

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के देश में मुस्लिम आबादी को लेकर दिए गए बयान पर राजनीतिक बवाल मच गया है। शाह ने कहा था कि भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या में बढ़ोतरी पाकिस्तान और बांग्लादेश से घुसपैठ के कारण हुई है, न कि जन्मदर की वजह से। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

अमित शाह का बयान

एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा कि देश में मुस्लिम आबादी में 24.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि हिंदू आबादी में 4.5 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने दावा किया कि “यह अंतर प्रजनन दर के कारण नहीं, बल्कि सीमापार घुसपैठ के कारण है।”
शाह ने आगे कहा कि सरकार घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची से हटाने और वापस भेजने के लिए सभी कदम उठा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिकों को ही होना चाहिए।”

कांग्रेस का पलटवार

अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह बयान चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करने की कोशिश है।
खेड़ा ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,

“सहकारिता मंत्री ने 10 अक्टूबर को हिंदू-मुस्लिम आग भड़काने और आगामी चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए सबसे असहयोगात्मक बात कही है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब शाह पिछले 11 सालों से गृह मंत्री हैं, तो अब जाकर यह मुद्दा क्यों उठा रहे हैं?

“यदि मुस्लिम आबादी वास्तव में घुसपैठ के कारण बढ़ रही है, तो पिछले 11 वर्षों में गृह मंत्री क्या कर रहे थे?” — खेड़ा ने सवाल किया।

“खाली बर्तन ज्यादा आवाज करते हैं”

पवन खेड़ा ने आगे कहा कि शाह का यह बयान बूमरैंग की तरह उन्हीं पर पलट गया
उन्होंने लिखा, “अमित शाह को जल्द ही एहसास हुआ कि वे गृह मंत्री भी हैं, इसलिए उन्होंने अपनी पोस्ट हटा दी। लेकिन इससे सच्चाई नहीं बदलती।”

कांग्रेस नेता ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2005 से 2013 के बीच कांग्रेस सरकार ने 88,792 बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया था, जबकि भाजपा शासन में 11 सालों में 10,000 से भी कम लोगों को देश से बाहर भेजा गया है।
खेड़ा ने तंज कसते हुए लिखा,

“खाली बर्तन बहुत शोर मचाते हैं।”

राजनीतिक तापमान बढ़ा

अमित शाह के इस बयान ने घुसपैठ, जनसंख्या और धर्म आधारित राजनीति पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा आगामी चुनावों से पहले धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति अपना रही है, जबकि भाजपा का दावा है कि वह केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकता कानून के मुद्दों को उठा रही है।

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