Wednesday, October 8, 2025
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पीएम मोदी के राष्ट्र-भाषण पर सियासी तूफान — विपक्ष ने ‘GST बचत उत्सव’ को नाकाफी और देर से राहत करार दिया

नई दिल्ली (अपडेट) — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार शाम के राष्ट्र-भाषण में घोषित जीएसटी की नई दरों और सरकार के कहे अनुसार कल से शुरू हो रहे “GST बचत उत्सव” पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी नेता प्रधानमंत्री के प्रस्तावित लाभों को मामूली पैचवर्क कह रहे हैं और सरकार पर पिछले दशकों में कर व नीतिगत फैसलों से जनता को हुए नुकसान के लिए जवाबदेही मांग रहे हैं।

कांग्रेस का हमला — “मामूली पट्टी से बड़े घाव नहीं भरते”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के भाषण पर कटाक्ष करते हुए लिखा: “नौ सौ चूहे खाकर, बिल्ली हज को चली!” खड़गे का तर्क यह है कि केंद्र ने 2014–2024 के दौरान अलग-अलग स्लैब और जटिल कर व्यवस्था के माध्यम से लाखों करोड़ वसूल कर लिए — और अब मामूली ₹2.5 लाख करोड़ के “बचत” दावे कर के जनता को संवेदनात्मक राहत देने का प्रयत्न कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहले दाल-चावल-पेंसिल-किताब-इलाज-ट्रैक्टर तक पर GST लगाया गया और जनता को हुए नुकसान की माँग सजा देनी चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा कि उन्होंने जीएसटी सुधारों पर किए गये निर्णयों का पूरा श्रेय स्वयं को देने की कोशिश की, जबकि ये संवैधानिक निकाय — GST Council — के सहयोग से ही होते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनैथ ने कहा कि भाषण में दिखावा ज़्यादा और आत्म-आलोचना कम थी; उनका तर्क था कि प्रधानमंत्री को जनता से माफी माँगनी चाहिए थी।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने जीएसटी के साथ वोट-चोरी और चुनावी नैतिकता पर भी सवाल उठाए और कहा कि देशहित के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी चिंताजनक है।

आम आदमी पार्टी और अन्य की कड़ी टिप्पणियाँ

AAP के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाषण से उम्मीद थी कि विदेश नीति और H-1B जैसे मुद्दों पर सख्त संदेश मिलेगा, पर यह पुरानी खबर को बड़ा करके पेश करने जैसा रहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाषण का समय बदलकर इसे क्रिकेट मैच के शेड्यूल के अनुरूप रखा गया — जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

राज्यसभा सांसद संजय सिंह (AAP) ने कहा कि सरकार ने पिछले आठ वर्षों में GST के नाम पर जनता से वसूली की है और अब उसे लोगों के खाते में पैसा लौटाना चाहिए।


निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने उदाहरण देकर कहा कि जीएसटी ने कुछ सामानों पर अनुचित असंतुलन पैदा किया—उदाहरण के तौर पर बिहार के पारंपरिक नाश्ते-मखाना पर अलग-अलग दरें—और कहा कि 90% लोगों को इससे नुकसान हुआ है।


अन्य दलों की प्रतिक्रियाएँ — शिवसेना और अन्यों का कटाक्ष

शिवसेना (UBT) के आनंद दुबे ने कहा कि भाषण में नई बात नहीं थी; उनका तर्क रहा कि पिछले वर्षों की नीतियों पर केंद्र को पहले ज़िम्मेदारी माननी चाहिए थी—नरेशन बदलकर आज “उपचार” पेश करना पर्याप्त नहीं।

विपक्ष के तर्क — सार में क्या कहा जा रहा है?

1.अभिव्यक्ति का समय और स्वर: कई विपक्षी नेताओं का दावा है कि घोषणाएँ अक्सर चुनावी-संदर्भ या इवेंट-बनाने की रणनीति के अनुरूप की जाती हैं, और वास्तविक राहत का दायरा सीमित रहता है।

2.राजस्व और दीर्घकालिक प्रभाव: आलोचक कहते हैं कि कर दरों में कटौती का राजस्व पर क्या असर पड़ेगा और इसे कैसे भरा जाएगा, इस पर सरकार को स्पष्टता देनी चाहिए।

3.न्यायसंगतता: कुछ नेता पूछ रहे हैं कि क्यों कुछ वस्तुओं पर कटौती और कुछ पर नहीं — किस आधार पर स्लैब तय किए गए हैं, और क्या इससे क्षेत्रीय असमानताएँ नहीं जन्मेंगी।

4.पिछली नीतियों का लेखा-जोखा: नोटबंदी, जीएसटी और अन्य बड़े आर्थिक फैसलों के कारण हुए व्यवधानों की चर्चा फिर उठ रही है—विरोधियों का कहना है कि सुधारों का औचित्य तभी स्वीकार्य होगा जब पुरानी क्षति की भरपाई भी हो।


सरकार-पक्ष का बचाव और तर्क

जीएसटी एक सतत सुधार प्रक्रिया है; समय-समय पर परिमार्जन आवश्यक हैं।

कटौतियाँ सीधे उपभोक्ता स्तर पर राहत देंगी और त्योहारों के मौके पर घरेलू मांग को प्रोत्साहित करेंगी।

“Made in India” को बढ़ावा देने का सामाजिक-आर्थिक संदेश भी भाषण का हिस्सा था।


राजनीतिक और सार्वजनिक असर — आगे क्या होगा?

मीडियाई बहसें और संसद में सवाल तेज़ होंगे; विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी रणनीति में उपयोग कर सकता है।

आर्थिक निगरानी: अर्थशास्त्री और वित्त विशेषज्ञ राजस्व-इम्पैक्ट और मुद्रास्फीति पर नजर रखेंगे।

जन-भावना: यदि कटौती का लाभ रिटेल स्तर पर वाकई दिखा, तो सरकार को तत्काल राजनीतिक लाभ मिल सकता है; वरना आलोचना तेज होगी।

संतुलित परख जरूरी

प्रधानमंत्री के भाषण ने उपभोक्ता-स्तर पर तत्काल राहत और ‘स्वदेशी’ पर जोर देने का संदेश दिया, पर विपक्ष इसे पुरानी गलतियों पर त्वरित पैचवर्क कहकर खारिज कर रहा है। असल परीक्षा यह होगी कि नई दरें वास्तव में दुकानों और घरों तक कैसे पहुँचती हैं और क्या यह दीर्घकालिक विकास व वित्तीय स्थिरता के साथ टिकती हैं।

देखने वाली बातें: आधिकारिक जीएसटी नोटिफिकेशन की विस्तृत सूची, केंद्रीय और राज्य सरकारों की रेवेन्यू-रैशन्स, और अगले कुछ हफ्तों में खुदरा कीमतों में वास्तविक बदलाव।

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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