पुणे/मुंबई — एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर बढ़ते विवाद के बीच शिवसेना (उद्धव – बालासाहेब ठाकरे गुट- UBT) ने रविवार (14 सितंबर) को महाराष्ट्र भर में ‘सिंदूर बचाव आंदोलन’ करने का ऐलान किया है। विरोध के स्वराही नेताओं ने केंद्र सरकार और बीसीसीआई पर निशाना साधते हुए कहा है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना शहीदों और पीड़ितों का अपमान है। वहीं एकनाथ शिंदे नेतृत्व वाली शिवसेना ने उद्धव गुट के अभियान की निंदा कर इसे चुनावी राजनीति करार दिया है।
उद्धव का आरोप — “सरकार और बीसीसीआई अनैतिक”
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मातोश्री पर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र व बीसीसीआई पर तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि पाकिस्तान हमारे सैनिकों और नागरिकों का खून बहा रहा है, जबकि सरकार और बोर्ड उसी देश के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं — यह “पहलागाम के शहीदों का अपमान” है। ठाकरे ने घोषणा की कि रविवार को मुंबई सहित राज्य भर में महिलाएँ और पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर प्रधानमंत्री को प्रतीकात्मक रूप से सिंदूर भेजेंगी, जिस पर संदेश लिखा होगा — “सिंदूर की रक्षा करो मोदी जी”।
ठाकरे ने आंदोलन के स्वरूप की रूपरेखा भी दी — शांतिपूर्ण पर बृहद जनजागरण:
नारे: “नो क्रिकेट विद पाकिस्तान — NATION FIRST”
प्रतीकात्मक दान अभियान: “देशभक्ति बिकाऊ नहीं है”
पोस्टर, बैनर व रैलियाँ — विशेष रूप से महिला-कार्यकर्ताओं को आगे रखा गया है
आंदोलन के प्रमुख स्थल और नेतृत्व (14 सितम्बर)
रिक्शा स्टैंड, वसंत सागर कॉम्प्लेक्स गेट, ठाकुर विलेज, कांदिवली (पूर्व) — सुबह 10:00 बजे
मुंबई दरबार, करी रोड नाका — सुबह 11:00 (नेतृत्व: किशोरी पेडणेकर)
बांद्रा ईस्ट, MIG क्लब के पास — सुबह 11:00 (नेतृत्व: विधायक वरुण सरदेसाई)
वर्सोवा कोलीवाड़ा — सुबह 11:00 (नेतृत्व: विधायक हारून खान)
इनके अलावा राज्यभर में स्थानीय कार्यक्रमों और काफ़िलों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें यूबीटी के विधायक और पदाधिकारी शिरकत करेंगे।
शिंदे गुट का पलटवार — “कोई नैतिक अधिकार नहीं”
इसी बीच एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने उद्धव गुट पर करारा वार किया। शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने कहा कि एशिया कप मैच पर विरोध करने का उद्धव गुट को कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उनके शब्दों में — जो लोग देश के सैनिकों के शौर्य पर प्रश्न उठाते हैं या चुनाव के समय संदिग्ध समूहों का इस्तेमाल करते हैं, वे “सिंदूर” जैसे पवित्र शब्दों की बात करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव नज़दीक आने पर ही अचानक ‘सम्मान’ और ‘देशभक्ति’ की स्मरण क्यों हुई।
शिंदे-गुट के बयान में यह भी दोहराया गया कि भारत का पाकिस्तान के प्रति रुख स्पष्ट है — जब तक आतंकवाद का अन्त नहीं होगा, दोनों देशों के बीच पूर्ण सौहार्द स्थापित नहीं हो सकता; केवल क्रिकेट खेलना इसका संकेत नहीं बदलता।
क्यों बढ़ रही हलचल — राजनैतिक निहितार्थ और करारा संदेश
एशिया कप को लेकर यह विवाद केवल खेल का मामला न रहकर राजनीतिक और संवेदनशील राष्ट्रीय भावना का मुद्दा बन गया है। उद्धव गुट के पास विशेष तौर पर महिला-आधारित प्रतीकात्मक अभियान है, जो भावनात्मक रुख को जनसमर्थन में बदलने की कोशिश करता दिखता है। दूसरी ओर शिंदे गुट इसे चुनाव-समय की सियासत करार दे रहा है, जिससे महाराष्ट्र की सियासी फिज़ा और तीखी होती दिख रही है।
संभावित प्रभाव
मुंबई व अन्य शहरों में रविवार को होने वाले कार्यक्रम शांतिपूर्ण भी रह सकते हैं और स्थानीय प्रशासन की एहतियात भी बढ़ सकती है।
केंद्र सरकार, बीसीसीआई और खेल-समुदाय पर दबाव में वृद्धि संभव है।
राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज़ होने से आगामी दिनों में यह मुद्दा चुनावी रंग भी पकड़ सकता है।