नई दिल्ली — उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। एनडीए उम्मीदवार और पूर्व राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने भारी मतों से जीत दर्ज की। उन्हें 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को सिर्फ 300 वोट ही हासिल हुए। नतीजों ने साफ कर दिया कि विपक्षी एकजुटता के दावों के बावजूद 15 वोट कहीं “गायब” हो गए, जिसने कांग्रेस खेमे की चिंता बढ़ा दी है।
विपक्षी रणनीति और नतीजों का विरोधाभास
कांग्रेस गठबंधन शुरू से ही यह स्वीकार कर चुका था कि आंकड़े उनके पक्ष में नहीं हैं। बावजूद इसके उन्होंने अपना उम्मीदवार उतारा ताकि विपक्षी एकजुटता का संदेश दिया जा सके। लेकिन नतीजे आने के बाद साफ हो गया कि विपक्ष अपने ही खेमे के भीतर सेंध से जूझ रहा है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मतदान से पहले दावा किया था कि विपक्ष के सभी 315 सांसदों ने एकजुट होकर वोट किया है, लेकिन नतीजों में बी. सुदर्शन रेड्डी को महज 300 वोट ही मिले। यानी कम से कम 15 वोटों की क्रॉस-वोटिंग हुई।
वोटों का गणित
लोकसभा की कुल सीटें: 543
राज्यसभा की सीटें: 233
नामांकित सदस्य: 12
➡ कुल सदस्य: 788
इस समय 7 सीटें रिक्त हैं, यानी मतदान के लिए कुल 781 सांसद पात्र थे। इनमें से 768 सांसदों ने वोट डाला और 13 अनुपस्थित रहे।
एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को मिले: 452 वोट
कांग्रेस गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी को मिले: 300 वोट
यानी कुल वैध मत: 752, शेष मत रद्द हुए।
क्रॉस वोटिंग की गुत्थी
कांग्रेस खेमे में मची हलचल का सबसे बड़ा कारण यही है कि उनके पक्के माने जा रहे 315 वोटों में से 15 वोट विपक्षी उम्मीदवार को न मिलकर एनडीए उम्मीदवार की झोली में चले गए। सूत्रों के अनुसार, क्रॉस-वोटिंग की सबसे अधिक संभावना महाराष्ट्र और झारखंड से जुड़ी मानी जा रही है। गौरतलब है कि सी.पी. राधाकृष्णन पहले इन दोनों राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं, जिससे उनके पक्ष में व्यक्तिगत समीकरण और प्रभाव काम कर गया हो, ऐसी अटकलें तेज हैं।
कांग्रेस का बयान
पराजय के बाद कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि सत्ता पक्ष सांसदों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन जनता को नहीं। उन्होंने सी.पी. राधाकृष्णन को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि वे निष्पक्ष होकर कार्य करेंगे। पुनिया ने साफ किया कि क्रॉस-वोटिंग हुई है और यह वोट सांसदों के व्यक्तिगत हित या दबाव की वजह से विपक्षी पाले से खिसके।
बीजेपी का उत्साह और विपक्ष की मुश्किलें
क्रॉस-वोटिंग से बीजेपी गदगद है। इस चुनाव को विपक्षी एकजुटता की अग्निपरीक्षा माना जा रहा था। कांग्रेस को पहले से ही अंदेशा था कि उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं है, क्योंकि जीत के लिए कम से कम 392 वोटों की जरूरत थी जबकि विपक्ष के पास सिर्फ 315 पक्के वोट थे। बावजूद इसके विपक्ष ने “सांकेतिक लड़ाई” के तौर पर बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा।
लेकिन अब 15 वोटों की सेंध ने विपक्ष की एकजुटता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। भाजपा इसे अपनी राजनीतिक मजबूती और विपक्ष की अंदरूनी कमजोरी का सबूत मान रही है।
f5ff7f120ff108उपराष्ट्रपति चुनाव का यह परिणाम सिर्फ एनडीए की जीत नहीं, बल्कि विपक्ष के भीतर जारी अंतर्विरोध और क्रॉस-वोटिंग की वास्तविकता को भी उजागर करता है। आने वाले समय में यह विपक्षी खेमे के लिए रणनीतिक चुनौती साबित हो सकता है।