गुवाहाटी, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि धुबरी जिले में 13 जून से लागू रात के समय का “शूट-एट-साइट” आदेश दुर्गा पूजा तक बरकरार रहेगा। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि पूजा के दौरान अगर कोई उत्पात मचाने की कोशिश करेगा तो उसे देखकर ही कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह कदम जिले में सांप्रदायिक शांति बनाए रखने और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के हवाले से आवश्यक बताया।
सीएम सरमा ने मीडिया से कहा कि धुबरी में सनातन धर्म के अनुयायी अब अल्पसंख्यक स्थिति में हैं और उनकी रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने दोहराया कि “देखते ही गोली मारने” के निर्देश वापस नहीं लिए गए हैं और त्योहारों के दौरान सुरक्षा की यह व्यवस्था जारी रहेगी।
पृष्ठभूमि: क्या हुआ था और क्यों ये कड़े कदम?
धुबरी में यह कड़वा कदम जून में बकरीद के बाद उठे तनाव के बाद लिया गया था। जिले में बकरीद के अगले दिन हनुमान मंदिर के बाहर गाय की खोपड़ी मिलने की घटनाओं के बाद माहौल पतला हुआ और कुछ जगह पत्थरबाजी भी हुई। इन घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव भड़काया और शांति बहाल करने के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध लागू किए गए।
सरकार का कहना है कि 13 जून के बाद से अब तक इस मामले में 150 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई नृशंस कोशिशों के मास्टरमाइंड की पहचान भी की गयी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य प्रशासन अशांति फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रखेगा।
सरकार का तर्क और विपक्ष/स्थानीय प्रतिक्रिया
सरकार का कहना है कि सीमावर्ती और बहुल्यतः संवेदनशील धुबरी में कड़ी कार्रवाई अनिवार्य है, विशेषकर उन इलाकों में जहां सामाजिक-धार्मिक समीकरण असंतुलित हैं। मुख्यमंत्री ने “बीफ/मवेशी संबंधी घटनाओं” को भड़काने की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे कदमों से समुदायों में बैर पैदा होता है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्थानीय नेतृत्व और नागरिक समाज ने घटनाओं पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है — एक ओर कई जगहों पर लोग सुरक्षाव्यवस्था की सराहना कर रहे हैं, वहीं मानवाधिकार समूह और कुछ राजनैतिक पार्टियाँ कानून के सख्त उपयोग और ‘शूट-एट-साइट’ की स्थायी उपयोगिता पर सवाल उठा रही हैं। प्रशासकीय जवाबदेही और अगली कार्रवाई को लेकर जनता और विश्लेषक सतर्कता बरत रहे हैं।
क्या आगे हो सकता है?
दुर्गा पूजा के दौरान इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की जाएगी और प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कोई भी व्यक्ति या गिरोह अशांति फैलाने की कोशिश करेगा तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। दूसरी ओर, नागरिक अधिकार संगठनों की निगरानी और पारदर्शिता की मांग जारी रहने की संभावना है।