नई दिल्ली — संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार (18 अगस्त) को लोकसभा का माहौल गरमा गया। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। इसी शोर-शराबे के बीच दोपहर 2 बजे शुरू हुई उस बहुप्रतीक्षित चर्चा, जिसका विषय था — “अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री और 2047 तक विकसित भारत के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका।”
“2040 में भारतीय चांद की सतह पर उतरेगा” — जितेंद्र सिंह
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत अगले दो दशकों में अंतरिक्ष विज्ञान की नई ऊँचाइयों को छूएगा। उन्होंने ऐलान किया:
“साल 2040 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर कदम रखेगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘2047 तक विकसित भारत’ के संकल्प की ऐतिहासिक पूर्ति होगी।”
विपक्ष पर सीधा वार: “धरती से नाराज़, अंतरिक्ष से भी नाराज़”
जितेंद्र सिंह ने विपक्षी हंगामे पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा,
“जब पूरा देश शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मना रहा है, विपक्ष सदन में हंगामा कर रहा है। नाराज़गी सरकार या एनडीए से हो सकती है, लेकिन हैरानी की बात है कि विपक्ष अंतरिक्ष यात्री से भी नाराज़ दिख रहा है। आप धरती से नाराज़ हैं, आकाश से नाराज़ हैं और आज अंतरिक्ष से भी नाराज़ नज़र आ रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष का यह आचरण असल में उसकी निराशा और विफलता का प्रतीक है, क्योंकि वह हर मुद्दे पर जनता का विश्वास खो रहा है।
“दुनिया ने माना भारत का लोहा”
केंद्रीय मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला की यात्रा को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि उनके मिशन में पूरी तरह स्वदेशी उपकरणों और किट का इस्तेमाल किया गया, जिसने आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को साकार किया।
उन्होंने हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा,
“भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रदर्शन पूरे विश्व ने देखा और हिंदुस्तान का लोहा माना। यह उपलब्धि केवल आज की नहीं, बल्कि पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा विकसित मजबूत अंतरिक्ष तकनीक की देन है।”
“50-60 साल तक क्यों सुस्त रहा अंतरिक्ष विभाग?”
जितेंद्र सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दशकों तक भारत का अंतरिक्ष विभाग धीमी रफ्तार से काम करता रहा। उन्होंने तंज कसा:
“यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा कि 50 से 60 सालों तक ऐसा क्या कारण था कि हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पाया।”
यह टकराव एक बार फिर यह दिखाता है कि संसद में राजनीति और विज्ञान के मुद्दे अक्सर टकरा जाते हैं। सवाल यह है कि क्या भारत की ऐसी ऐतिहासिक वैज्ञानिक उपलब्धियों पर भी विपक्ष और सत्ता पक्ष एक साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं बना सकते?