पटना | 15 जुलाई 2025: बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। चुनाव आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 7.89 करोड़ वोटरों में से 6.60 करोड़ यानी 83.66% मतदाताओं ने अपने फॉर्म सफलतापूर्वक जमा कर दिए हैं। फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 25 जुलाई है और अब सिर्फ 11.82% मतदाता बचे हैं जिन्होंने अभी तक आवेदन नहीं किया है।
ECINet पर 5.74 करोड़ दस्तावेज अपलोड
अब तक 5.74 करोड़ से अधिक फॉर्म्स को ECINet पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है। आयोग के मुताबिक,
1.59% मतदाता मृत पाए गए हैं,
2.2% मतदाताओं ने स्थायी पता बदला,
0.73% डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन पाए गए।
इस प्रकार कुल 88.18% मतदाताओं की जानकारी अद्यतन हो चुकी है।
तीसरे चरण की तैयारी पूरी: 1 लाख बीएलओ डोर-टू-डोर सर्वे के लिए तैनात
भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि SIR प्रक्रिया के तीसरे और अंतिम चरण में 1 लाख बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं का सर्वे कर रहे हैं।
राज्य के 5,683 वार्डों और 261 शहरी निकायों में विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं ताकि कोई भी योग्य मतदाता छूट न जाए।
बाहर रहने वाले मतदाता भी शामिल हो सकते हैं
राज्य से बाहर रहने वाले मतदाता भी ECINet App या https://voters.eci.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं, पुराना रिकॉर्ड देख सकते हैं और BLO से संपर्क कर सकते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म 40 ईसीआई एप्लिकेशनों को मिलाकर एकीकृत रूप से विकसित किया गया है।
राजनीतिक हलचल तेज: विपक्ष ने उठाए सवाल, सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
इस प्रक्रिया को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आरजेडी समेत विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि एसआईआर की टाइमिंग संदिग्ध है और कई जरूरी दस्तावेज जैसे मनरेगा कार्ड, आधार आदि को मान्य नहीं किया जा रहा, जिससे गरीब और ग्रामीण मतदाता बाहर हो सकते हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत में विस्तृत सुनवाई अभी शेष है।
25 जुलाई तक प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य
चुनाव आयोग का कहना है कि वह तय समयसीमा में यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए पूरी ताकत झोंक चुका है। ECINet का डेटा सत्यापन मॉड्यूल, AERO, ERO और DEO को मतदाता डेटा की पुष्टि करने में बड़ी मदद कर रहा है। आयोग की कोशिश है कि 25 जुलाई तक सभी मतदाताओं की स्थिति स्पष्ट हो जाए ताकि निष्पक्ष और अपडेटेड वोटर लिस्ट तैयार की जा सके।
बिहार में SIR प्रक्रिया सिर्फ एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि लोकतंत्र को सशक्त बनाने की बुनियाद है। जहां चुनाव आयोग अंतिम तारीख से पहले लक्ष्य प्राप्त करने में जुटा है, वहीं विपक्षी दल इसकी पारदर्शिता और प्रक्रिया की वैधता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि मतदाता सूची में सुधार के इस महाअभियान का जनविश्वास पर क्या प्रभाव पड़ता है।