मऊ सदर से विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को जिला एवं सत्र न्यायालय ने हेट स्पीच मामले में दोषी करार दे दिया है। अब इस बहुचर्चित मामले में केवल सजा का ऐलान बाकी है, जो कभी भी हो सकता है। यदि सजा 2 साल या उससे अधिक की होती है, तो उनकी विधायकी रद्द हो सकती है। यह फैसला न केवल अब्बास अंसारी के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता है, बल्कि क्षेत्रीय चुनावी समीकरणों को भी हिला सकता है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ के पहाड़पुरा इलाके में हुई एक चुनावी जनसभा का है, जहां अब्बास अंसारी ने कथित रूप से सरकारी अधिकारियों को सत्ता में आने के बाद “हिसाब-किताब” करने की धमकी दी थी। इस विवादित बयान को हेट स्पीच की श्रेणी में रखा गया और सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की शिकायत पर मऊ कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी।
कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षा
आज सुबह अब्बास अंसारी और उनके भाई उमर अंसारी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में पेश हुए। जिला एवं सत्र न्यायालय ने अब्बास अंसारी को दोषी घोषित कर दिया है। कुछ ही देर में सजा का ऐलान होने वाला है।
सजा पर टिकी विधायकी और सियासत
यदि कोर्ट द्वारा अब्बास अंसारी को दो वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। ऐसे में मऊ सदर सीट खाली हो सकती है, जिससे उपचुनाव की नौबत आ सकती है। यह फैसला यूपी की राजनीति और खासकर पूर्वांचल में सपा की रणनीति पर भी असर डाल सकता है।
राजनीतिक हलकों में हलचल
चूंकि अब्बास अंसारी समाजवादी पार्टी के विधायक हैं और उनके पिता मुख्तार अंसारी की छवि एक प्रभावशाली नेता और अपराधी दोनों की रही है, इसलिए इस मामले में कानूनी और राजनीतिक पहलुओं को लेकर पूरे प्रदेश की निगाहें मऊ पर टिकी हुई हैं।














