
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बयानबाजी तेज हो गई है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे द्वारा उद्धव ठाकरे के महाकुंभ स्नान न करने पर उठाए गए सवाल पर शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने करारा पलटवार किया है। राउत ने शिंदे को घेरते हुए सवाल किया कि “जो सवाल वे उद्धव ठाकरे से पूछ रहे हैं, क्या वही सवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से पूछने की हिम्मत है?”
राउत का पलटवार: ‘पहले मोहन भागवत से पूछें शिंदे’
संजय राउत ने शिंदे को चुनौती देते हुए कहा कि अगर मोहन भागवत एक हिंदू होते हुए कुंभ में डुबकी लगाने नहीं गए, तो फिर उद्धव ठाकरे पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि शिंदे को सबसे पहले यही सवाल भागवत से पूछना चाहिए।
‘RSS के नेता भी नहीं गए कुंभ’
पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि उन्होंने RSS संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार, पूर्व संघ प्रमुख एम. एस. गोलवलकर, बालासाहेब देवरस, रज्जू भैया और के. सुदर्शन की कोई तस्वीर महाकुंभ में नहीं देखी। यहां तक कि हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर भी कभी कुंभ में नहीं गए।
‘सिर्फ प्रचार का हथकंडा है महाकुंभ पर राजनीति’
राउत ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाने पर लिया और सवाल किया, “पीएम बनने से पहले मोदी कितनी बार किसी कुंभ में गए थे?” उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक प्रचार का हथकंडा है। राउत ने आगे कहा कि महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस पिछले महीने कुंभ में गए थे, लेकिन कितने कैबिनेट मंत्री और बीजेपी विधायक वहां पहुंचे?
‘बीजेपी शिंदे को सवाल पूछने की ट्रेनिंग दे’
राउत ने शिंदे की राजनीतिक समझदारी पर भी तंज कसा और कहा कि बीजेपी को उन्हें सवाल पूछने की सही ट्रेनिंग देनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि शिंदे की गलतियों के कारण उद्धव ठाकरे से ज्यादा बीजेपी और उसके नेता बेनकाब हो रहे हैं।
शिंदे ने क्या कहा था?
दरअसल, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने हाल ही में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में उद्धव ठाकरे के स्नान न करने को लेकर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था, “कुछ लोग खुद को हिंदूवादी नेता कहते हैं, लेकिन महाकुंभ में स्नान करने नहीं गए। ऐसे लोगों की कथनी और करनी में फर्क होता है।” शिंदे ने दावा किया था कि देश-दुनिया के 65 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कुंभ में स्नान किया, लेकिन कुछ हिंदूवादी नेता वहां नहीं पहुंचे।
इस बयान के बाद अब महाराष्ट्र की राजनीति में सरकार और विपक्ष के बीच तल्खी और बढ़ गई है।