
केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका दीपाली का बिहारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी वाला वीडियो वायरल होने के बाद बवाल मच गया है। बिहार के लोगों के सिविक सेंस पर सवाल उठाने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के बाद, उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। लेकिन यह मामला सिर्फ निलंबन तक सीमित नहीं है—इसने एक गहरी मानसिकता और सोच पर बहस छेड़ दी है।
बिहार पर भद्दी टिप्पणी, इतिहास और संस्कृति की अनदेखी
बिहार के जहानाबाद में पोस्टिंग से नाराज़ होकर टीचर दीपाली ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उसने बिहार के लोगों के रहन-सहन, भाषा और सिविक सेंस को लेकर आपत्तिजनक बातें कहीं। उसने यहां तक कह दिया कि “अगर बिहार को देश से अलग कर दिया जाए, तो भारत जल्द ही विकसित देश बन जाएगा।”
विडंबना यह है कि जिस बिहार को वह देश के विकास में बाधा बता रही थी, वह चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, आर्यभट्ट, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण जैसे महापुरुषों की भूमि है। यह वही प्रदेश है, जिसने भारतीय गणराज्य, शिक्षा, राजनीति, गणित, विज्ञान और स्वतंत्रता संग्राम को अनगिनत योगदान दिए हैं।
क्या इतनी संकीर्ण सोच वाली शिक्षिका बच्चों को सिखाएगी नागरिकता?
केंद्रीय विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाने वाली शिक्षिका की ऐसी संकीर्ण मानसिकता पर सवाल उठने लाज़मी हैं।
- क्या उसने इतिहास और समाज का अध्ययन किया भी था?
- क्या इतनी सीमित जानकारी और पक्षपाती मानसिकता वाली महिला स्कूल में बच्चों को निष्पक्ष शिक्षा दे सकती थी?
- बिहार ही नहीं, किसी भी राज्य के नागरिकों के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक भाषा को एक शिक्षक द्वारा कैसे उचित ठहराया जा सकता है?
राजनीतिक हलकों में भी गूंजा मामला, फौरन एक्शन
टीचर दीपाली के बिहार विरोधी बयान का मामला सत्ता और सियासत तक पहुंचते ही तेज़ी से तूल पकड़ने लगा।
- सांसद शांभवी चौधरी ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) को चिट्ठी लिखकर सख्त कार्रवाई की मांग की।
- शिकायत के तुरंत बाद KVS हरकत में आया और शिक्षिका को सस्पेंड कर दिया।
- राजनीतिक दलों ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, क्योंकि बिहार में अगले कुछ सालों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
बिहार को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति – नया नहीं, पर गलत जरूर!
बिहार के लोगों को लेकर भेदभाव और गलत धारणाएं कोई नई बात नहीं हैं।
- अक्सर बिहारियों को ‘गंवार’, ‘अशिक्षित’ या ‘बोझ’ मानकर अपमानित किया जाता है, जबकि यही बिहार देशभर में IAS, IPS, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर और उद्योगपति तैयार करता है।
- “एक बिहारी, सौ पर भारी” सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि इतिहास और वर्तमान में भी सिद्ध हो चुका तथ्य है।
- बिहार देश के प्रशासन, शिक्षा, विज्ञान, मीडिया, कला, राजनीति और व्यापार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बिहार के लोगों पर सवाल, लेकिन खुद को सिविक सेंस का ज्ञान?
दीपाली ने बिहारियों के सिविक सेंस पर सवाल उठाए, लेकिन क्या उसे खुद नागरिक शिष्टाचार की समझ थी?
- सिविक सेंस का मतलब है दूसरों का सम्मान करना, सार्वजनिक स्थानों की सफाई रखना, क़ानून का पालन करना, ट्रैफिक नियमों का सम्मान करना और सामाजिक शिष्टाचार को बनाए रखना।
- क्या बिहार के इतिहास, योगदान और संस्कृति का सम्मान करना सिविक सेंस में नहीं आता?
- अगर किसी शिक्षिका को ही यह सब समझ नहीं, तो वह विद्यार्थियों को क्या सिखाएगी?
शिक्षिका के निलंबन से बड़ा सवाल!
बिहार को लेकर टीचर दीपाली की संकीर्ण सोच का वीडियो केवल एक व्यक्ति की राय नहीं, बल्कि एक गहरी मानसिकता की झलक है, जिसमें बिहार और बिहारियों को हमेशा कमतर दिखाने की कोशिश की जाती है।
इस मामले में निलंबन तो महज एक तात्कालिक समाधान है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या हम शिक्षकों की मानसिकता और उनकी सामाजिक समझ को परखने के लिए कोई सख्त मापदंड तय करेंगे?
क्योंकि अगर शिक्षकों में ही पूर्वाग्रह और नफरत होगी, तो वे अगली पीढ़ी को क्या सिखाएंगे?

VIKAS TRIPATHI
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