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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले साल अगस्त में रेप और हत्या की शिकार हुई युवा महिला डॉक्टर के माता-पिता अब भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि छह महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद उन्हें अब तक कोलकाता नगर निगम (KMC) से अपनी बेटी का मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) नहीं मिला है।
पीड़िता के पिता का आरोप है कि उन्होंने कई बार कोलकाता नगर निगम से अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला। भले ही पानीहाटी नगर पालिका ने उनकी बेटी का दाह संस्कार प्रमाण पत्र जारी कर दिया हो, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की जिम्मेदारी KMC और अस्पताल प्रशासन के बीच उलझी हुई है।
KMC और अस्पताल प्रशासन के बीच जिम्मेदारी का टकराव
पीड़िता के माता-पिता के अनुसार, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के अधिकारी यह कहकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का कार्य KMC का है, जबकि KMC का कहना है कि यह अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है।
विडंबना यह है कि आरोपी को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बावजूद, पीड़िता के परिवार को अभी तक उसकी मृत्यु का आधिकारिक प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाया है।
कैसे हुई थी घटना?
• 9 अगस्त 2023 को 31 वर्षीय महिला जूनियर डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया।
• इस घटना ने पूरे देश में भारी आक्रोश और विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया।
• मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
कोर्ट का फैसला: दोषी को आजीवन कारावास, लेकिन परिवार अब भी न्याय की तलाश में
• 11 नवंबर 2024 को इस केस का ट्रायल शुरू हुआ और सिर्फ 59 दिनों में मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई।
• 20 जनवरी 2025 को ट्रायल कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
• सीबीआई ने संजय रॉय के लिए फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा दी।
हालांकि, पीड़िता के माता-पिता का कहना है कि इस जघन्य अपराध में और भी लोग शामिल थे, जिन्हें बचाया जा रहा है। वे अब भी संपूर्ण न्याय की मांग कर रहे हैं।
परिवार की न्याय की गुहार
पीड़िता के माता-पिता के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर आरोपी को सजा सुनाई जा चुकी है, तो उनकी बेटी का मृत्यु प्रमाण पत्र अब तक क्यों लटका हुआ है?
इस मामले ने न्यायिक प्रक्रिया और प्रशासनिक लापरवाही पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता के माता-पिता अब भी आरोपियों को सख्त सजा दिलाने और अपनी बेटी की न्यायिक पहचान को पूर्ण करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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VIKAS TRIPATHI
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