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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में उत्तराखंड के वन विभाग से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट में प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAMPA) के दुरुपयोग का जिक्र किया गया है, जिसमें सरकारी धन को अस्वीकार्य गतिविधियों पर खर्च करने की बात सामने आई है।
फॉरेस्ट फंड से की गई अस्वीकृत खरीदारी
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में वन विभाग के बजट से iPhone, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और स्टेशनरी जैसी वस्तुओं की खरीद की गई। ये सभी खरीदारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में हुईं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस फंड का उपयोग हरेला योजना, टाइगर सफारी, अधिकारियों और वीआईपी व्यक्तियों के दौरों, अदालती मामलों और अन्य गैर-स्वीकृत गतिविधियों पर किया गया।
CAG रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
1. 13.86 करोड़ रुपये अस्वीकार्य गतिविधियों पर खर्च – रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रभाग स्तर पर कुल 13.86 करोड़ रुपये ऐसे कार्यों में खर्च कर दिए गए, जो CAMPA के उद्देश्यों के अनुरूप नहीं थे।
2. बिना मंजूरी खर्च की गई राशि – राज्य प्राधिकरण ने CAMPA निधि के डायवर्जन और अवैध खर्चों को नियंत्रित नहीं किया। इस धनराशि का उपयोग योजनाओं और सुविधाओं के विकास के बजाय व्यक्तिगत लाभ और अन्य गैर-वन गतिविधियों पर किया गया।
3. निधि संचालन में देरी – केंद्र सरकार को वार्षिक संचालन योजना समय पर प्रस्तुत नहीं की गई, जिससे कई परियोजनाओं की लागत में अनावश्यक वृद्धि हुई।
4. वन भूमि का अनुचित आवंटन – 52 मामलों में 188.62 हेक्टेयर वन भूमि गैर-वन उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ताओं को स्थानांतरित कर दी गई। हालांकि, इन परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी तो दी गई थी, लेकिन सक्षम प्राधिकारी द्वारा काम शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
CAMPA निधि के दुरुपयोग का व्यापक असर
CAG की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रतिपूरक वनीकरण निधि का उद्देश्य औद्योगिक विकास के कारण वन क्षेत्र के नुकसान की भरपाई करना था। लेकिन इस निधि का उपयोग उन कार्यों में किया गया, जिनका वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापन से कोई सीधा संबंध नहीं था।
इस तरह के वित्तीय कुप्रबंधन से उत्तराखंड में वनीकरण की योजनाओं को गहरा झटका लगा है। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित हुआ है, बल्कि सरकारी धन के अनुचित उपयोग का भी गंभीर मामला सामने आया है। CAG की यह रिपोर्ट वन संरक्षण और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधारों की ओर इशारा करती है।
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VIKAS TRIPATHI
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