
“Mohalla Clinics to Aarogya Mandirs: “दिल्ली में नई भाजपा सरकार के कदम बड़े दिलचस्प नजर आ रहे हैं। सत्ता में आते ही सबसे पहले पार्टी ने फैसला किया कि मोहल्ला क्लीनिकों को पुनर्जन्म देना बेहद जरूरी है। आखिर दिल्ली की हवा में ही बदलाव घुल चुका है, तो अब सरकारी बोर्ड और नामplates भी बदलने ही चाहिए! इसलिए सरकार ने ठान लिया है कि मोहल्ला क्लीनिक अब “अर्बन आरोग्य मंदिर” या “आरोग्य आयुष्य मंदिर” के रूप में नयी पहचान पाएंगे। यकीन मानिए, अब मरीजों को दवा के साथ-साथ भक्ति भाव भी मिलेगा!
भ्रष्टाचार की जांच या राजनीतिक शुद्धिकरण?
सूत्रों की मानें तो मोहल्ला क्लीनिकों की जांच समिति गठित करने का फैसला हो चुका है। कारण? “फंड का दुरुपयोग!” वैसे, इस जांच का असली मकसद ये है कि आखिर इतने सालों तक ये क्लीनिकें चलीं कैसे? क्या कोई गुप्त स्रोत से ऑक्सीजन सप्लाई हो रही थी? क्या दवाओं में घोटाला वाकई हुआ, या फिर ये सब राजनीतिक चिकित्सा का हिस्सा है? समिति की रिपोर्ट आने के बाद नई सरकार पुराने डॉक्टरों का इलाज करने का भी मन बना सकती है!
कैबिनेट मीटिंग में बड़ा फैसला: नामकरण ही समाधान!
जब भ्रष्टाचार खत्म करना मुश्किल लगे तो नाम बदल दो – यही नीति अपनाई जा रही है! अब मरीजों को दवा मिलने या न मिलने का सवाल गौण हो चुका है, असली मुद्दा यह है कि सरकारी बोर्ड पर क्या लिखा होगा? पुरानी सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक लाए थे, नई सरकार संस्कारी टच देकर उसे आरोग्य मंदिर बना देगी। इससे देश में हेल्थ सेक्टर को कितना फायदा होगा, ये तो जांच समिति ही तय करेगी!
अब दिल्ली भी बनेगी “आयुष्मान”!
इसके साथ ही आयुष्मान भारत योजना दिल्ली में लागू की जाएगी, क्योंकि जब नया बोर्ड लगेगा तो नई योजना भी जरूरी होगी! योजना के तहत 51 लाख आयुष्मान कार्ड बांटे जाएंगे, जिनका मुख्य उद्देश्य दिल्ली वालों को याद दिलाना होगा कि सरकार अब बदल चुकी है।
निष्कर्ष: नारे बदलेंगे, बोर्ड बदलेंगे, मरीज सोच में पड़ेंगे!
अब देखना ये होगा कि मोहल्ला क्लीनिक से आरोग्य मंदिर बनने के बाद इलाज में सुधार होता है या सिर्फ पोस्टरों में! फिलहाल तो नई सरकार का फोकस बीमारों का इलाज नहीं, बल्कि पुराने बोर्डों की बिदाई पर ज्यादा नजर आ रहा है! आखिर “मोहल्ला” वाला नाम सुनते ही विपक्ष की याद जो आ जाती है! 😆