
मैहर। पवित्र लोक धार्मिक स्थल माँ शारदा देवी मंदिर की व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। वर्तमान प्रभारी प्रशासक विकास सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मंदिर की संवैधानिक समिति को दरकिनार कर मंदिर प्रशासन को अपनी मनमानी से चलाना शुरू कर दिया है।
समिति के अधिकारों पर प्रशासक का कब्जा
सूत्रों की माने तो शासन द्वारा मंदिर की देख-रेख के लिए एक सशक्त संवैधानिक समिति का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य मंदिर की व्यवस्था को पारदर्शी और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक बनाना था। लेकिन अतिरिक्त प्रभार मिलने के बाद से विकास सिंह ने समिति को अपने नियंत्रण में लेते हुए उसे सिर्फ एक कठपुतली बना दिया है।
बिना समिति की सहमति के ही बजट निर्माण, दुकानों का आवंटन, ठेकों की नीलामी, और नई नियुक्तियों जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। ये सभी कार्य समिति के संविधान और नियमों का उल्लंघन कर किए जा रहे हैं।
बैठक बुलाने में लापरवाही
समिति के संविधान के अनुसार, प्रशासक को नियमित अंतराल पर समिति की बैठक बुलाना अनिवार्य है, लेकिन पिछले एक वर्ष से किसी भी तौमासिक बैठक का आयोजन नहीं किया गया है। इससे स्पष्ट है कि प्रशासनिक कार्यवाहियां पूरी तरह पारदर्शिता से बाहर हैं।
तीर्थयात्रियों के साथ लूट का आरोप
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि माँ के धाम में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कोई भी सुविधा निःशुल्क उपलब्ध नहीं है। हर सेवा के लिए तीर्थयात्रियों से शुल्क लिया जा रहा है, चाहे वह प्रसाद हो, दर्शन हो, या अन्य सेवाएं। तीर्थयात्रियों के साथ इस तरह की धार्मिक लूट से देवी धाम की बदनामी हो रही है।
क्षेत्रीय जनता को उठानी होगी आवाज
अब सवाल यह है कि क्या लोकसेवक ही तय करेंगे कि धार्मिक मान्यताओं और तीर्थयात्रियों की भावनाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाए? क्षेत्रीय जनता को इस स्थिति पर विचार करना होगा, क्योंकि यह केवल माँ शारदा देवी धाम की प्रतिष्ठा ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
यदि समय रहते इस अनियमितता पर रोक नहीं लगाई गई, तो मंदिर प्रशासन में व्याप्त यह अराजकता धार्मिक आस्था और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर संकट बन सकती है।