ब्रिस्बेन [ऑस्ट्रेलिया], 3 नवंबर: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में हुए गहरे बदलाव पर जोर देते हुए इसके पीछे चार महत्वपूर्ण कारण बताए। उन्होंने ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में भारतीय प्रवासी को संबोधित करते हुए इन द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर चर्चा की।
अपने संबोधन में, जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई सरकार, वैश्विक परिस्थितियां और भारतीय प्रवासी के योगदान ने भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के इस परिवर्तन में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि यह बदलाव स्वत: नहीं हुआ बल्कि इसके लिए दोनों देशों के नेतृत्व और मेहनत की आवश्यकता थी।
जयशंकर ने कहा, “यह पिछले तीन वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की मेरी पांचवीं यात्रा है। मैंने हाल ही में एक किताब का विमोचन किया जिसमें भारत के सात महत्वपूर्ण मित्र देशों का उल्लेख था और ऑस्ट्रेलिया उनमें से एक था। मैंने लेखक से कहा कि अगर यह किताब दस साल पहले लिखी जाती तो शायद ऑस्ट्रेलिया का नाम इसमें न होता। इसका कारण यह है कि पिछले एक दशक में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में कितनी प्रगति हुई है।”
जयशंकर ने बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने उनसे भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों के विकास पर सवाल उठाया था। यह सवाल दोनों देशों के बीच मौजूद असीम संभावनाओं को पहचानने का प्रारंभिक बिंदु साबित हुआ। उन्होंने साझा भाषा, संस्कृति और परंपराओं के साथ दोनों देशों के स्वाभाविक संबंधों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “यह बदलाव तब नहीं हुआ जब भारत-ऑस्ट्रेलिया का रिश्ता ‘ऑटोपायलट’ पर था, बल्कि तब हुआ जब दोनों देशों के नेताओं और लोगों ने इसे विकसित करने के लिए प्रयास किया।”
जयशंकर अपने पांच दिवसीय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हैं, जिसमें वे ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया में चौथे भारतीय वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन करेंगे। अपने आगमन पर उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “नमस्ते ऑस्ट्रेलिया! आज ब्रिस्बेन पहुंचा। अगले कुछ दिनों में भारत-ऑस्ट्रेलिया दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूँ।”
VIKAS TRIPATHI
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