भरतपुर के तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक हुमायूं कबीर के नाम से सामने आई खबर ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा से राजनीतिक और संवैधानिक सवाल दोबारा उठा दिए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हुमायूं कबीर 6 दिसंबर को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखने की बात कर रहे हैं और उस स्थल को पक्का करने के लिए काम शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं — हालांकि इस कदम के वास्तविक रूप से कब और किस रूप में शुरू होने की पुष्टि अभी उपलब्ध नहीं है।
स्थल पर बाबरी मस्जिद की तस्वीरों वाले पोस्टर पहले ही लगाए जा चुके हैं, जिससे इलाके में तनाव और राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई है। मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल सांसद अबू ताहिर खान ने भी इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध व्यक्त किया है और इसे ‘‘बहुत ही दुख की बात’’ बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी की हाई कमान इस मामले पर निर्देश देगी और उन्होंने आगाह किया कि यदि यह कदम नहीं हटाया गया तो स्थिति ‘‘फसाद’’ तक पहुँच सकती है — इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।
बिहार के डिप्टी सीएम का तीखा रुख
बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी इस मामले को उठाते हुए बेहद तीखा बयान दिया। उनके शब्दों में—“दोबारा कोई बाबर पैदा ही नहीं होगा जो भारत की भूमि पर फिर से कोई बाबरी मस्जिद बना ले। मां भारती के बच्चे जाग गए हैं और अब, बाबर का कोई भी समर्थक भारत में बाबरी मस्जिद नहीं बनाएगा। भगवान राम का मंदिर, मां जानकी का मंदिर भारत में बनेगा।” उनके इस बयान ने राष्ट्रीय स्तर पर भावनात्मक और राजनीतिक तंत्रिकाओं को छू दिया है और विरोधियों ने इसेprovocative—प्रोत्साहित करने वाला करार दिया है।
BJP का आरोप: तृणमूल राज्य को अस्थिर कर रही है
पश्चिम बंगाल भाजपा के राज्य अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने इस कदम की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस जानबूझकर अस्थिरता फैला रही है। भट्टाचार्य का कहना है कि पूरा देश देख रहा है कि किस तरह राज्य में नेतृत्व ने हालात को गंभीर बना दिया है और यदि किसी ने फिर से बाबरी मस्जिद को बनाने की हिमाकत की तो ‘‘पूरा देश चुप नहीं रहेगा’’ — वे चेतावनी रुख में दिखे हैं।
स्थानीय सांसद का आह्वान — विड्रा कर लें ताकि फसाद टला जा सके
तृणमूल सांसद अबू ताहिर खान ने स्थानीय तौर पर शांति की अपील करते हुए कहा कि हुमायूं कबीर की इस तरह की बातें बेहद नाजुक हैं और पार्टी की उच्चतम इकाई इस बारे में निर्देश देगी। उन्होंने एक उत्तर प्रदेश के साधु के कथित बयान का ज़िक्र भी किया — जिसके मुताबिक़ उसने कहा था कि वह एक करोड़ रुपये देगा और ‘‘सर काट के ले आएगा’’ — अबू ताहिर ने इस प्रकार के घृणास्पद और हिंसक कृत्यों की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी बातों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, अन्यथा वे सीधे फसाद और सांप्रदायिक तनाव की ओर ले जाएंगी।
कानूनी, संवैधानिक और सुरक्षा निहितार्थ
यह मामला वैसी संवेदनशीलियों को सीधे छूता है जो 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस और उसके बाद चले कानूनी-जागरूकता तथा सामाजिक विभाजन के दौर से जुड़ी हैं। 6 दिसंबर की तारीख ऐतिहासिक रूप से संवेदनशील है — यही वह दिन है जब 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था और उसके बाद यह विषय वर्षों से चुनावी, कानूनी और सामाजिक विमर्श का हिस्सा रहा है। ऐसे किसी भी सार्वजनिक कदम या धार्मिक-सांस्कृतिक नारेबाजी का असर तुरंत कानून-व्यवस्था और समुदायों के बीच तनाव पर पड़ सकता है।
#WATCH | Patna: On TMC MLA Humayun Kabir’s statement, Bihar Deputy CM Vijay Kumar Sinha says, “Dobara koi Babar paida hi nahi hoga jo Bharat ki bhoomi par phir se koi Babri Masjid bana le. The children of Maa Bharati have awoken, and now, no supporter of Babar will build Babri… pic.twitter.com/Jp1Ua3ed6B
— ANI (@ANI) November 26, 2025
कानून की दृष्टि से भी ऐसे कदमों की गंभीरता है: किसी भी निर्माण या धार्मिक स्थल के मुद्दे पर सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस को शांति-व्यवस्था बनाए रखने का दायित्व होता है; यदि सार्वजनिक रूप से provocative घोषणाएँ या भीड़ उकसाने वाले आयोजन हों तो इससे संबंधित संस्थागत कार्रवाई और आपराधिक धाराओं की संभावनाएँ बन सकती हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा निगरानी और स्थिति की समीक्षा की आवश्यकता पैदा हो चुकी दिखती है।
क्या हुआ, क्या नहीं — तथ्य और अस्पष्टताएँ
बेलडांगा (मुर्शिदाबाद) में बाबरी मस्जिद की नींव रखने की बात सामने आई है और पोस्टर लगाए गए हैं — यह तथ्य स्थानीय सूत्रों पर आधारित है।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं कि वास्तविक निर्माण कार्य कब शुरू होगा; कुछ निहितयता और सिर्फ़ घोषणात्मक तैयारी की ही बात सामने आ रही है।
तृणमूल के अंदरूनी और स्थानीय नेताओं के बयानों में मतभेद दिख रहे हैं — एक तरफ़ विधायक (हुमायूं कबीर) के इरादों को लेकर बयान आने की ख़बर है, दूसरी तरफ़ पार्टी के उच्च पदाधिकारी और सांसद अबू ताहिर खान ने विरोध और तुरंत निवारण की बात कही है।
बेलडांगा का यह मामला न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि पूरे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशीलता पैदा करने वाला प्रतीत होता है। राजनैतिक बयानों की तेज़ी, हिंसक भाषा के आभास, और पोस्टरों के लगाए जाना — इन सभी से साफ संकेत मिलते हैं कि स्थिति विस्फोटक है और प्रशासन, राजनीतिक दलों और समाज के समस्त हिस्सों से संयम व जवाबदेही की अपेक्षा है। स्थानीय नेताओं से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे भावनाओं को और उकसाने वाले बयानों से पीछे हटें और संविधान तथा कानून के दायरे में रहकर संवाद करें।
स्थिति में किसी भी तरह की नई जानकारी सामने आने पर स्थानीय प्रशासन और पार्टी प्रवक्ताओं की आधिकारिक टिप्पणियों को महत्व मिलेगा — फिलहाल घटनाक्रम में अस्पष्टता और तेज़ राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ जारी हैं।














